लखनऊ, एबीपी गंगा। शारदीय नवरात्रि के 6वें दिन माता पूर्णागिरी धाम में हजारों की संख्या में भक्तों का तांता लगा रहा। माता के दर्शन करने कई किलोमीटर की दूरी तय कर श्रद्धालु पहुंचे। इस दौरान मां के भक्तों ने शारदा नदी में स्नान किया और फिर विधि विधान के साथ माता पूर्णागिरि के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। बता दें कि पूर्णागिरी धाम उत्तराखंड के जनपद चम्पावत के सीमांत नगर टनकपुर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। शुक्रवार को शारदीय नवरात्रि के छठे दिन हजारों की संख्या में भक्तों ने मां के दर्शन किए।
मान्यता के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती ने अपने पति महादेव के अपमान के विरोध में उनके द्वारा आयोजित यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। तब शोक और क्रोध युक्त महादेव सती के शरीर को लेकर कैलाश की ओर जा रहे थे, तभी भगवान विष्णु ने उन्हें शांत करने के लिए अपने चक्र से माता सती के शरीर को 51 टुकड़ों में बांट दिया। तब जहां-जहां सती के शरीर के टुकड़े गिरे, वहां-वहां शक्ति पीठ स्थापित हुआ। इस क्रम में पूर्णागिरि शक्ति पीठ स्थल पर माता सती की नाभि गिरी थी। माता सती के नाभि स्थल के रूप में मां पूर्णागिरी की पूजा की जाती है।
इस शक्तिपीठ में हर साल शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक मेला लगता है, जिसमें देश और विदेश के लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं और माता के दर्शन करते हैं। चैत्र माह में शुरू होने वाले नवरात्रों के समय भी यहां भव्य मेले का आयोजन होता है। ये मेला 60 से 90 दिनों तक चलता है। ये भी मान्यता है कि माता के दर्शन कर भक्त, उनसे जो भी मनोकामना मांगते हैं, वो जरूर पूरी होती है।
वहीं, मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पूर्णागिरी धाम की भौगोलिक स्थिति नेपाल सीमा से सटी होने और देश में आतंकी हमले की अलर्ट के चलते मेले में आए लोगों की सुरक्षा में स्थानीय पुलिस, नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानो की सयुक्त टीमें तैनात की गई हैं। मेले में आने जाने वाले हर वाहन और व्यक्ति की तलाशी की जा रही है। सुरक्षा जांचों में होने वाली दिक्कतों के बावजूद भक्तों में जोश बना हुआ है, रोज हजारों की संख्या में मां के दर पर भक्त पहुंच रहे हैं।
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