UP News: पीलीभीत में इन दिनों बरेली सितारगंज नेशनल हाइवे काफी चर्चा में है. दरअसल बरेली से पीलीभीत सितारगंज होते हुए हाइवे के निर्माण में आने वाले दर्जनों गांव में किसानों की अधिग्रहण की गई भूमि पर लखनऊ दिल्ली, रुद्रपुर जैसी जगहों से जमीनों के सौदागरों ने जमीन खरीद कर दोगुना मुआवजा पाने के लालच में अस्थाई निर्माण दिखाकर नेशनल हाइवे अथॉरिटी और pwd राजस्व के मिलीभगत के चलते करोडों का खेल किया है. मामला उजागर होने के बाद अब NHAI की टीम ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर जांच टीम गठित की है, जिसको लेकर दो बड़े विभागीय जिम्मेदारों को निलंबित कर मामले की जांच की जा रही है.


दरअसल बरेली से पीलीभीत होते सितारगंज हाइवे के निर्माण के लिए सन 2022 को एन एच की टीम ने स्थानीय राजस्व विभाग की टीम और pwd के साथ मिलकर हाइवे का सर्वे किया. उसके बाद राजस्व टीम pwd के साथ मिलकर भूमि अधिग्रहण को लेकर 70 किलोमीटर लंबे 2600 करोड़ की लागत से बने हाइवे पर पड़ने वाले ग्रामीण इलाकों का सर्वे रिपोर्ट कर मूल्यांकन कर दिया. नियमानुसार भूमि अधिग्रहण का फायदा सीधे तौर पर उन किसानों को होना चाहिए था, जिनकी कृषि की भूमि इस हाइवे पर अधिग्रहण में आ रही थी, लेकिन ऐसा नही हुआ.


भू माफियाओं ने किसानें से कम दाम में खरीदे जमीन 


एन एच हाइवे के कुछ अधिकारियों और राजस्व टीम की मिलीभगत से जमीन के बड़े सौदागरों या यूं कहें बड़े भू माफियाओ को इसकी भनक पहले ही लग गई और उन्होंने नेशनल हाइवे बरेली पीलीभीत सितारगंज NH30 पर 3A की नियमावली कार्रवाई पूरी होने से पहले ही किसानों से औने पौने दामो में खरीद ली गई, और बाद में हाइवे निर्माण को लेकर भूमि सौदागरों के अधिग्रहण की गई भूमि पर अस्थाई भवन निर्माण कंस्ट्रक्शन कर करोड़ों का मुआवजा कमा लिया.


लापारवाही बरतने वाले दो अधिकारी निलंबित 


बताया जा रहा है कि बनाये गए आधा दर्जन कंस्ट्रक्शन अवैध निर्माण होने की खबर लगते ही हुए करोड़ों के जमीन मुआजवे में खेल को लेकर एन एच आई ने अपनी सर्वे टीम लगाकर मामले की जांच स्थानीय जिला प्रशासन के साथ मिलकर की. एन एचआई ने गोपनीयता एवं नियमावली के विरूद्ध लापरवाही बरतने वाले दो विभागीय अधिकारियों को निलंबित कर दिया. मामले की जांच अभी जारी है. कयास लगाया जा रहा है कि निष्पक्ष जांच पूरी होने के बाद लखनऊ, रुद्रपुर, दिल्ली जैसे बड़े जमीन के सौदागरों पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है. 


बाईट नगर मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर ने पूरे मामले को लेकर बताया कि एन एचआई की टीम की तरफ से भूमि अधिग्रहण को लेकर मौके पर हुए अवैध निर्माण को लेकर आर्टिफिशियल स्ट्रक्चर पाए जाना पाया गया, जिसको लेकर जांच अभी जारी है, और दो एन एच के विभागीय अफसरों के निलंबन की कार्रवाई की गई है. जांच भी जारी है, जिस पर कार्रवाई होना तय है.


मोटा मुआवजा कमाने वाले नामों से इक शख्स का नाम आगे 


जानकारी के मुताबिक सबसे अधिक कृषि योग्य भूमि खंड भगवान दास के नाम पर है. पूर्व में नहीं की ओर से जारी मुआवजा लेने वालों की सूची में भगवानदास का नाम नहीं था. इलाहाबाद मौके पर स्थित अमरिया भौनी माधवपुर सहित उदनपुर जैसे गांव से गुजरने वाले हाईवे पर दिल्ली लखनऊ और रुद्रपुर के भूमि सौदागरों ने किसानों से उनकी जमीन कम दामों में अधिग्रहण कर खरीद कर अधिग्रहण की जमीन पर मोटा मुआवजा कमा लिया, जिनमें से बड़े नाम हिमांशु संगल धर्मवीर मित्तल जैसे लोगों के सामने आ रहे हैं. फिलहाल मामले की कार्रवाई अभी जारी है.


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