Pilibhit District Hospital: यूपी सरकार (UP Government) भले ही गरीब और जरूरतमंदों को नि:शुल्क बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का दावा कर रही हो, लेकिन पीलीभीत (Pilibhit) के जिला अस्पताल में डॉक्टर और फार्मासिस्टों के तबादले के बाद अब मरीजों की दिक्कत दिन-ब-दिन बढ़ती नजर आ रही है. दरअसल यहां सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर आने वाली गर्भवती महिलाओं और पेट संबंधी मरीजों के लिए पहले तो डॉक्टर ही उपलब्ध नहीं होते और अगर डॉक्टर मिल गए तो उनकी जांच के लिए अल्ट्रासाउंड-एक्स-रे रूम में ताला लटका देख उल्टे पांव बिना इलाज के ही लौटना पड़ता है.


ऐसे में यूपी के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक का जिला अस्पताल का दौरा और बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा फेल होता नजर आ रहा है. पीलीभीत की पूरनपुर तहसील के थाना शेरा मऊ स्थित गांव की निवासी उतना पिछली 14 तारीख से लगातार गर्भवती होने के अपने गर्भ की जांच कराने के लिए अल्ट्रासाउंड कराने को लेकर अस्पताल के चक्कर लगा रही है. स्टाफ नहीं होने की वजह से गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहा है.


रेडियोलॉजिस्ट के बीमार होने से बढ़ी दिक्कत


रूम के बाहर ताला लटका कर एक नोटिस चस्पा कर दिया गया है कि यहां तत्कालीन वैकल्पिक व्यवस्था में रखे गए रेडियोलॉजिस्ट के के सिंह के बीमार होने की वजह से वह मेडिकल लीव पर अपने घर चले गए हैं. इसकी वजह से आए दिन सैकड़ों की संख्या में गर्भवती महिलाओं सहित दुर्घटना का शिकार हुए लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. जब एबीपी गंगा ने यहां घूम रहे मरीजों से जानकारी ली तो उनका साफ तौर पर कहना है कि बीते कई महीनों से अल्ट्रासाउंड और एक्सरे कराने के लिए वे चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन गरीबों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर मजाक हो रहा है.


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प्राइवेट में अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे कराने पर लगते हैं इतने रुपये


अमूमन बाहर के लैब में अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे कराने की कीमत 700 रुपये है, वहीं जिला अस्पताल में नि:शुल्क किया जाता है. फिलहाल  जिला अस्पताल में सुविधा नहीं मिलने के कारण अब बाहर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए उनके पास रुपये नहीं हैं तो आखिर नि:शुल्क सेवाओं का फायदा उन्हें किस तरह से मिल पाएगा. इसे लेकर यहां के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक ध्यान तक नहीं दे रहे हैं.


जिला अस्पताल के सीएमएस ने दी ये सफाई


पीलीभीत जिला अस्पताल के प्रभारी सीएमएस बीएस यादव का कहना है कि 4 डॉक्टरों और तीन फार्मासिस्ट के ट्रांसफर होने के बाद मैन पावर की कमी की वजह से यह अवस्थाएं फैल रही हैं, जिसकी वजह से मरीजों को अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इमरजेंसी की स्थिति में उन्हें बरेली 60 किलोमीटर दूर हायर सेंटर रेफर किया जाता है. हमारे यहां ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर अनिल मिश्रा, एनेस्थेटिक निशिकांत गुप्ता सहित सर्जन पीके अग्रवाल का तबादला होने के बाद स्थितियां गड़बड़ा गई हैं. शासन को पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक नया डॉक्टर नहीं मिला है, जिसकी वजह से मरीजों को अवस्था झेलनी पड़ रही है.


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