Pilibhit Encounter Case: 43 पुलिसकर्मी दोषी करार, कोर्ट ने दी 7 साल की सजा, 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा
पीलीभीत में एनकाउंटर के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 43 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है. पुलिसकर्मियों को 7 साल की कठोर सजा और 10-10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा मीली है.
Pilibhit News: पीलीभीत में एनकाउंटर के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 43 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है. पुलिसकर्मियों को 7 साल की कठोर सजा और 10-10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा मीली है. दरअसल, जुलाई 1991 में तीर्थयात्रा को जा रहे 10 सिखों को आतंकी बताते हुए बस से उतर कर मार दिया गया था. पुलिस का दावा था कि मारे गए सभी लोग खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट से जुड़े थे. वहीं, मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कि कानून की ताकत का गलत इस्तेमाल किया गया.
हाईकोर्ट ने हत्या की धारा 302 के आरोपों से पुलिसकर्मियों को रिलीज करते हुए आईपीसी की धारा 304 के पार्ट वन के तहत दोषी माना. अदालत ने इसी आधार पर दोषी पुलिसकर्मियों की सजा को कम किया. हाईकोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों को 7 साल की सजा के साथ ही दस- दस हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस ऑफिसर का यह कर्तव्य नहीं है कि वह अपराधी बताकर हत्या करे पुलिस का दायित्व है कि वह अपराधी को गिरफ्तार करे और कोर्ट में मुकदमा चले 57 पुलिस कर्मियों पर 10 सिखों को आतंकी बताकर फेक एनकाउंटर करने का आरोप था. मुकदमे के ट्रायल के दौरान 10 आरोपी पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी.
लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने अप्रैल 2016 में 47 पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया था सेक्शन 120बी, 302, 364, 365, 218 और 117 आईपीसी के तहत दोषी करार दिया था. स्पेशल सीबीआई जज लखनऊ ने 47 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद चार दोषी पुलिसकर्मियों की मौत हुई इनमें से मौत हो गई. 11 पुलिसकर्मियों को गंभीर बीमारी के आधार पर जमानत दी गई थी. 32 दोषी पुलिसकर्मी अभी जेल में है. दोषी पुलिस कर्मियों ने सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी थी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद 29 अगस्त को फैसला रिजर्व कर लिया था इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज 179 पेज का सुनाया फैसला है याची देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल की गई थी क्रिमिनल अपील 12 जुलाई 1991 को बस से उतार कर आतंकी बताकर 10 सिखों का एनकाउंटर किया गया था. जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की डिवीजन बेंच ने सुनाया फैसला 2016 में सीबीआई हत्या अपहरण और षड्यंत्र समेत अन्य धाराओं में सुना चुकी है आरोपियों को सजा सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में की गई थी अपील हाईकोर्ट में पुलिस की सेल्फ डिफेंस में सिखों को मारने की दलील को किया खारिज पुलिसकर्मियों को 7 साल की कठोर सजा और 10-10 हजार रुपए के जुर्माने की सुनाई गई सजा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीलीभीत एनकाउंटर केस में 43 पुलिसवाले दोषी करार दिए.