Pilibhit Lok Sabha Seat Election: लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने इस सीट से योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है. जितिन के प्रत्याशी बनने के बाद इस सीट से वरुण गांधी का पत्ता कट गया है. पीलीभीत में पहले चरण में मतदान होंगे. इसके लिए 27 मार्च 2024 को नामांकन का आखिरी दिन है. सोमवार को जब जितिन प्रसाद, पीलीभीत पहुंचे और 2 कार्यक्रमों में हिस्सा लिया तो उसमें भी कहीं वरुण गांधी नजर नहीं आए. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि वरुण गांधी क्या करेंगे?


दरअसल, यह सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि बीजेपी के प्रत्याशी ऐलान करने से पहले ही वरुण गांधी ने नामांकन के लिए चार सेट में पर्चा खरीदा था. माना जा रहा है कि वरुण ने चुनाव लड़ने का पूरा मन बना लिया है. हालांकि वो इलेक्शन लड़ेंगे या नहीं, इस पर कयासों का दौर जारी है.


आइए हम आपको बताते हैं कि वरुण के पास तीन कौन से विकल्प हैं-


Pilibhit Lok Sabha: पीलीभीत में हो सकता है नया प्रयोग, वरुण गांधी के इस फैसले से बढ़ सकती है BJP की चुनौती


पहला- वरुण गांधी के पास पहला विकल्प यह है कि वह निदर्लीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ें. हालांकि जानकार बताते हैं कि इस बात की संभावना बहुत कम है. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि वरुण गांधी, बीजेपी से बगावत करते हैं या नहीं.


दूसरा- सपा प्रत्याशी ने भी बीते दिनों वरुण गांधी को ऑफर दिया था कि अगर बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो मैं उनके लिए सीट खाली कर दूंगा. सपा उम्मीदवार भगवत सरन गंगवार ने कहा था कि अगर वरुण गांधी चुनाव लड़ने का मन बनाएंगे तो मैं उनके लिए सीट खाली कर दूंगा.इसके अलावा सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी एबीपी न्यूज़ के कार्यक्रम घोषणा पत्र में वरुण गांधी से जु़ड़े सवाल पर कहा था कि सॉफ्ट कार्नर तो रहेगा. ऐसे में वरुण गांधी, सपा के टिकट पर भी चुनाव लड़ सकते हैं. 


तीसरा- वरुण  सपा में शामिल हुए बिना पार्टी के समर्थन से चुनाव लड़ सकते हैं. सूत्रों का दावा है कि जबकि भगवत सरन गंगवार ने सीट खाली करने की घोषणा पहले ही कर दी है ऐसे में अगर वरुण चुनाव लड़ते हैं तो सपा उन्हें अपना समर्थन देते हुए प्रत्याशी वापस ले सकती है.


अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले 48 घंटों में वरुण गांधी क्या फैसला करते हैं. इस फैसले पर उनका सियासी भविष्य टिका हुआ है.