Pilibhit News: उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) के गन्ना विभाग ने पीलीभीत (Pilibhit) के गन्ना उत्पादकों को खेतों में सूखे गन्ने के पत्तों को जलाने से रोकने के लिए डीकंपोजर पदार्थों का वितरण शुरू कर दिया है. यूपी काउंसिल ऑफ गन्ना रिसर्च (UP Council of Sugar Research) और कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिक भी किसानों के साथ फसल अवशेषों को सड़ाने की वैज्ञानिक पद्धति साझा कर रहे हैं. डीकंपोजर के प्रयोग के बाद सूखी पत्तियों को 10 से 12 दिनों के भीतर खाद में बदल दिया जाता है, 


वायु प्रदूषण में आएगी कमी
जिला गन्ना अधिकारी जितेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा, "विभाग ने जिले के प्रत्येक गन्ना उत्पादक को डीकंपोजर (Decomposer) की एक इकाई मुफ्त में प्रदान की. इससे न केवल वायु प्रदूषण (Air Pollution) में काफी हद तक कमी आएगी, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी.'' इसी के साथ कृषि वैज्ञानिक भी फसल अवशेषों को सड़ाने की वैज्ञानिक पद्धति साझा कर रहे हैं.


10 से 12 दिन के भीतर खाद में जाती है बदल
वहीं पीलीभीत (Pilibhit) में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के प्लांट फिजियोलॉजिस्ट डॉ. शैलेंद्र सिंह ढाका (Dr. Shailendra Singh Dhaka) ने कहा कि डीकंपोजर के प्रयोग के बाद सूखी पत्तियों को 10 से 12 दिनों के भीतर खाद में बदल दिया जाता है, जो नाइट्रोजन, पोटाश, फास्फोरस और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो शरीर के लिए आवश्यक हैं. बता दें कि यूपी में खेतों में कृषि अवशेष जलाते हुए पकड़े जाने पर दो एकड़ से कम के खेतों के लिए 2500 रुपए, दो से पांच एकड़ के लिए 5,000 रुपए और पांच एकड़ से अधिक के खेतों के लिए 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.


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