पीलीभीत, एबीपी गंगा। शहर में नगर पालिका द्वारा कराई गई स्वच्छता के दावे की पोल देश भर के स्वच्छता सर्वेक्षण के सर्वे में खोल कर रख दी है. पीलीभीत जिले को स्वच्छता के आधार पर 259वें स्थान और मंडल में सबसे पीछे रखा गया है. जिससे स्थानीय लोगों ने नगर पालिका सहित चेयरमैन पर स्वच्छता के नाम पर एक वर्ष में खर्च हुए 78 करोड़ रुपये किए जाने को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नाराजगी व्यक्त की है. वहीं, जिले में नगर पालिका की व्यवस्थाओं की जांच परख करने आए नोडल अफसर अपर मुख्य सचिव एवं श्रम सेवा योजन विभाग ने जल्द ही शहर की स्वच्छता व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देष जारी कर दिए हैं. पीलीभीत के डीएम ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से शहर में पटी हुई गंदगी को छुपाकर शहर की सफाई व्यवस्थाओं को लेकर संतोष जनक स्थिति की पुष्टि कर दी है.


ढाई लाख से अधिक आबादी वाले शहर पीलीभीत में करीब 27 वार्ड हैं और जिसमें लगभग 50 से अधिक मोहल्ले और कॉलोनियां भी हैं. जिसको लेकर पालिका के पास पूरे शहर की स्वच्छता व्यवस्था रखने के लिए 180 स्थाई सफाईकर्मी और 250 ठेका सफाई कर्मचारी मौजूद हैं. बरसात से पूर्व नगर पालिका आउट सोर्सिंग और ठेके पर भी नाले की सफाई करवाती है. मगर हर बार की तरह सड़कें तालाब में तब्दील होकर शहर दलदल का रूप लेता है. यही नहीं शहर भर के कूड़े करकट को 22 खुले कचरा घरों में डाला जाता है. जिससे कूड़ा सड़कर संक्रामक रोगों को बढ़ावा भी दे रहा है.


साथ ही सॉलिड वेस्ट प्लांट न होने की वजह से लोगों की आस्था से जुड़ी देवहा नदी को कूड़े के पहाड़ो में तब्दील कर मुक्तिधाम के निकट गंदगी का अंबार लगा दिया है. जिससे शहर में घुसते ही बरेली के लिए जाने वाली रेल लाइन से कूड़े के पहाडों के भयावह मंजर देख स्थानीय लोगों में पालिका के खिलाफ रोष व्याप्त है. जिसके सुधार के लिए जिला प्रशासन से लेकर जन प्रतिनिधि तक कोई एक्शन लेने को तैयार नहीं है. इतना जरूर है कि सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा पेश जरूर कर रहे हैं.


स्थानीय निवासी बासु का कहना है कि नगर पालिका हर वर्ष सफाई को लेकर करोड़ों रूपये खर्च करती है फिर भी शहर बदहाली के आंसू रो रहा है. पालिका के पास जेसीबी, लोडर, डंपर सहित ट्रैक्टर- ट्रॉली खरीद कर हर वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन सारी स्वच्छता व्यवस्था का दावा धरातल पर फेल होता नजर आता है और शहर तालाब बन जाता है.


पूर्व चेयरमैन राजीव टीटी ने पालिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन को लेकर लगातार प्रयासरत हैं. हालांकि, बड़े शर्म की बात है कि चेयरमैन और ईओ के 78 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी पीलीभीत नगर पालिका चारों तरफ कूड़े के पहाड़ों से घिरा हुआ है. ये सब भ्र्ष्टाचार को बढ़ा वा देकर बजट को चट कर जाने की रणनीति है. उन्होंने कहा कि अगर उनके कार्यकाल में इतना पैसा आवंटित हुआ होता तो शहर की तस्वीर ही बदली होती.


वहीं, मौजूदा चेयरमैन के पति और पूर्व चेयरमैन प्रभात जायसवाल ने बताया कि शहर के सफाई व्यवस्था को चाक चौबंद किया जा रहा है. लगातार शहर के अंदर सैनेटाइजेशन सहित स्वच्छता का कार्य किया जा रहा है. अगर किसी को कोई समस्या है तो वह फोन पर अवगत करवा सकता है.


ये भी पढ़ेंः


गोरखपुरः नाबालिग स्कूली छात्रा से रेप, पीड़ित परिजनों की पुलिस ने नहीं की सुनवाई, आरोपी फरार

मथुराः कोरोना काल में सादगी से मना राधा अष्टमी उत्सव, परंपरागत तरीके से हुई पूजा