Pilibhit Stone: यूपी (UP) के पीलीभीत (Pilibhit) में बीते सोमवार की रात करीब एक बजे आसमान से गिरा 12 से 14 किलो ग्राम वजन का पत्थर जिले में काफी चर्चा विषय बना हुआ है. इसे देखने के लिए अब लोग पहुंचने लगे हैं. कोई इसे आकाश गंगा से उल्का पिंड (Ulka Pind) का हिस्सा बता रहा है, तो कोई तारा मंडल से अंतरिक्ष के बाहर धात्विक कणों के टकराने की वजह से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के संपर्क में आने वाले टूटे तारे की भांति देख रहा है. इस बीच प्रशासनिक अमले ने आसमान से गिरे पत्थर को लेकर अब तक कोई सुध नहीं ली है.


वहीं खबर फैलते ही थाने की पुलिस इस पत्थर को देख कर उसके फोटो को अपने कैमरे में कैद किया है. दरअसल, थाना सुनगढ़ी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इनायत गंज मोहल्ले के निवासी सुनील गुप्ता का कहना है कि बीते सोमवार की रात करीब एक बजे आसमान से एक 12 से 14 किलो का पत्थर उनकी छत के ऊपर आ गिरा, जिससे तेज धमाके की आवाज हुई. वहीं पत्थर गिरने से लोहे की चादर पूरी तरह जर्जर हो गई. बाउंड्री वॉल पूरी तरह से धंस कर चटक गई. सुनील गुप्ता ने कहा कि जब वे इस पत्थर के करीब गए तो डरे-सहमे हुए देखा कि पत्थर उस समय चमक के साथ काफी गर्म था और हीट कर रहा था.


लोग चाहते हैं पत्थर की हो जांच
इसके बाद सुनील गुप्ता उसको वैसे ही छोड़ कर अपने कमरे में सो गए. अगले दिन सुबह से ही उनके घर पर आसमान से गिरे पत्थर को देखने वालों का तांता लग गया. इसे देखने और जानने के लिए जिज्ञासु लोग वहां पहुंचकर उस पत्थर का फोटो लेने लग गए. जानकारों के मुताबिक पत्थर आसमान से अंतरिक्ष के धात्विक कणों का मिश्रण के समय आपस में टकराते हुए पृथ्वी वायुमंडल के सम्पर्क में आने के कारण तीव्र गति के वेग से जमीन पर आ गिरा है. वहीं लोगों की जिज्ञासा है कि इस अनोखे पत्थर की जांच हो, जिससे वह पता चल सके कि आखिर ये आसमान से गिरा पत्थर क्या है और कैसे आया?


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भौगौलिक विज्ञान के प्रोफेसर ने पत्थर को लेकर क्या बताया?
भौगौलिक विज्ञान के प्रोफेसर शैलेन्द्र सिंह, जो जेएमबी डिग्री कॉलेज में सेवाएं दे रहे हैं, उनसे abp गंगा ने बातचीत कर इस अनोखे पत्थर को लेकर जानकारी ली. उन्होंने बताया कि हमारा सौर मंडल रहस्यों से भरा हुआ है. कई बार समय-समय पर आसमान से चमकती हुई वस्तु दिखाई देती है, जो हमारा पृथ्वी ग्रह है, उसका वायुमंडल आसमान से उस तत्वों की अंतरिक्ष मे कोई तत्वों की कक्षा में प्रवेश करते समय वायुमंडल अपनी ओर खींचता है. साथ ही पृथ्वी के सम्पर्क में आने पर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उल्का पिंडों को अपनी ओर खींचता है, इसका शोध नासा ने भी किया है.


'उल्का पिंड का हो सकता है हिस्सा'
प्रोफेसर शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि समय-समय पर ये देखा जाता है कि इस तरह के उल्का पिंड गिरते रहते हैं. इससे पहले राजस्थान में इस तरह की घटना देखने को मिली थी. उन्होंने कहा, "मैंने उस जगह को देखा है, जिस वेग से गिरा है उल्का पिंड का हिस्सा हो सकता है. ऐसे आकाश गंगा और अंतरिक्ष में, इस क्लास और अंतरिक्ष से बाहर वायुमंडल के सम्पर्क में आने से बड़े आकार के कारण गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से ये सीधे पृथ्वी पर तेज वेग से आ गिरते हैं."


चर्चा का विषय बना हुआ है पत्थर
प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह भी इस बात को मानते हैं कि आकाशगंगा से अंतरिक्ष के धात्विक कणों के टकराने के बाद गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के संपर्क में आने पर तेज गति से आने वाला यह अनोखा पत्थर उल्कापिंड ही हो सकता है, जिसको लेकर तमाम जानकार और पीलीभीत की जनता पत्थर की ओर आकर्षित और जिज्ञासा भरी निगाहों से इसके बारे में जानने के लिए बेहद उत्सुक हैं. फिलहाल आसमान से गिरा यह पत्थर काफी चर्चा का विषय बना हुआ है.