![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/Premium-ad-Icon.png)
Pilibhit: 5 शावकों के साथ दिखी मादा तेंदुआ, डर के मारे गन्ना नहीं काट पा रहे किसान, वन विभाग ने कही ये बात
मुख्य वन संरक्षक ने कहा, फसल बिना काटे रखने से शावकों को बचाने में मदद मिलती जब तक कि शावक बड़े नहीं हो जाते. शावकों को आवारा जानवरों से बचाना एक और चुनौती है.
![Pilibhit: 5 शावकों के साथ दिखी मादा तेंदुआ, डर के मारे गन्ना नहीं काट पा रहे किसान, वन विभाग ने कही ये बात Pilibhit Uttar Pradesh Fear among farmers after female leopard and 5 cubs spotted in field in village Pilibhit: 5 शावकों के साथ दिखी मादा तेंदुआ, डर के मारे गन्ना नहीं काट पा रहे किसान, वन विभाग ने कही ये बात](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/01/24/f99a864c0220676633f0ee92a4bf297f_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पीलीभीत (Pilibhit) जिले के निजामपुर गांव में एक मादा तेंदुए और उसके पांच शावकों को एक खेत में देखे जाने के बाद किसानों ने अपनी गन्ने की फसल काटना बंद कर दिया है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पास एक मादा तेंदुआ को शावकों को एक गन्ने के खेत में ले जाते देखा गया है.
डरे हुए हैं किसान
निजामपुर की गन्ना खरीद रही चीनी मिल ने 30 अप्रैल को अपने वर्तमान पेराई सत्र को समाप्त करने की घोषणा की है, किसान समय सीमा से पहले अपनी गन्ना फसल काट लेते हैं. हालांकि, वे ऐसा करने में असमर्थ हैं क्योंकि तेंदुआ अपने शावकों के साथ गन्ने के खेतों में छिपा है.
वन संरक्षक ने क्या कहा
बरेली जोन के मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) ललित वर्मा ने कहा कि गन्ने के खेत और जंगल के बीच 500 मीटर की अनुमानित दूरी जाहिर तौर पर इतनी कम है कि मादा तेंदुआ शावकों को अपने मुंह में ले जा सकती है. एक और वजह ये हो सकती है कि वह जंगल में शावकों को अन्य मांसाहारी जानवरों से बचाने की कोशिश कर रही हो.
शावकों को बचाना जरूरी
मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि शावकों के छिपने की जगह के पास खड़ी गन्ने की फसल की कीमत की भरपाई के लिए वन विभाग के पास कोई विशेष फंड नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे हमें फसल बिना काटे रखने से शावकों को बचाने में मदद मिलती जब तक कि शावक बड़े नहीं हो जाते. शावकों को आवारा जानवरों से बचाना एक और चुनौती है जिसका हम इस समय सामना कर रहे हैं.
शावकों की सुरक्षा
इस बीच, भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्ल्यूटीआई) के अधिकारी शावकों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए वन कर्मियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. शावक अगले चार सप्ताह तक सुरक्षित रहेंगे जब तक कि वे अपने आप चलना शुरू नहीं कर देते. डीएफओ आदर्श कुमार ने बताया कि शावकों को गर्मी के मौसम में डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए फील्ड फॉरेस्ट टीम नियमित पेयजल आपूर्ति कर रही है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. शीतल शर्मा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/f60ff2c04c432b4f784899f397ae4e21.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)