पीलीभीत: मोबाइल फोन में गेम खेलते हैं युवा, मैदान में खिलाड़ियों की संख्या में आई कमी
नेशनल स्तर खिलाड़ियों का कहना है कि आज के युवा और युवतियां आउटडोर गेम में पिछड़ते जा रहे हैं और महिलाओं को खेल के प्रति बंदिशें भी आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं.
पीलीभीत, विक्रांत शर्मा: बांसुरी नगरी के नाम से पहचान बनाने वाले यूपी के पीलीभीत शहर में करीब 50 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों ने पदक जीतकर शहर का नाम रोशन किया है. लेकिन आज के आधुनिक युग और कोरोना काल के चलते युवाओं का ध्यान खेल से हटता जा रहा है, उसकी वजह जानने पर पता चला कि निजी स्कूलों में खेल लिए ग्राउंड सिमटकर रह गए हैं. वहीं, नेशनल स्तर खिलाड़ियों का कहना है कि आज के युवा और युवतियां आउटडोर गेम में पिछड़ते जा रहे हैं और महिलाओं को खेल के प्रति बंदिशें भी आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं.
रोजना करते हैं प्रैक्टिस खिलाड़ी कोरोना काल मे भी अपनी प्रतिभा को निखारने का वक्त निकल ही लेते हैं. खिलाड़ी अपने कोच आविद अली के साथ घर के पास ही मैदान में हॉकी को दिनचर्या में शामिल कर सुबह शाम प्रैक्टिस करते हैं. यही नहीं नए खिलाड़ियों को खेल जगत में प्रतिभा निखारने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं. बीते वर्षों से खेल जगत की शिक्षा जो कि स्कूली मैदानों तक सिमट गई थी उसे अब निखारने के लिए बढ़ावा मिल रहा है.
लड़कियों को आगे आना चाहिए विमला भारती का का साफ तौर पर कहना है कि मेरे घर में आज पांच भाई, बहन सभी खेल जगत के लिए जाने जाते हैं. स्टेट लेवल हॉकी का खेल जीतकर आगे बढ़े और आज भी खेल के लिए लगातार प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि मैंने खुद नेशनल स्तर हॉकी खेल में प्रतिभाग कर बेसिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण की है. आज का खेल जगत स्कूलों में सीमित रह गया है जिसमें सुधार करने की जरूरत है. लड़कियां बाहर खेलने के लिए नहीं निकल रही हैं, उनको खेल में आगे बढ़ना चाहिए.
सरकार को देना चाहिए ध्यान लोकनिर्माण विभाग में कार्यरत रविशंकर का कहना है कि खेल जगत स्कूलों में सिमटकर रह गया है. स्कूलों की मनमानी के चलते स्पोर्ट्स टीचर वहां की फीस भी ले लेते हैं और खेल में प्रोत्साहन के लिए खिलाड़ियों को किट भी उपलब्ध नहीं कराते, जिसकी वजह से स्कूली शिक्षा के बोझ तले खिलाड़ियों की प्रतिभा दब जाती है. इस पर खिलाड़ियों को ध्यान देना चाहिए सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.
खेल के मैदान में लहराया परचम राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी विजेता करिश्मा का कहना है कि उन्होंने ताइक्वांडो के साथ अपने खेल की शुरुआत की. आज ताइक्वांडो में कई मेडल जीतने के बाद करिश्मा ने हॉकी खेल में प्रतिभाग कर नेशनल स्तर पर अपना परचम लहराया है. करिश्मा खेल के साथ-साथ बेसिक शिक्षा स्कूल में शिक्षिका हैं.
आउटडोर खेलों में पिछड़ते जा रहे हैं युवा जिला क्रीड़ा अधिकारी राजकुमार का कहना है कि पीलीभीत में 40 से 50 खिलाड़ियों ने अलग-अलग खेलों में राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार जीतकर अपने शहर का नाम रोशन किया है, जिसमें राष्ट्रीय खेल हॉकी समेत किक्रेट, ताइक्वांडो, जैसे कई खेल शामिल हैं. उन्होंने कहा कि बीते 4 से 5 सालों में खेल जगत स्कूली मैदानों और सिस्टम की खानापूर्ति तले दब गया है, जिसको अभी और सुधार की जररूत है. डिजिटल दौर में मोबाइल फोन और डिवाइस के खेलों में युवा ज्यादा अग्रसर हो गए हैं जिससे आउटडोर खेलों में पिछड़ते जा रहे हैं.
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