Navratri 2022: पिथौरागढ़ के इस मंदिर में नवरात्र पर लगता है भक्तों का तांता, जानें- क्या हैं मान्यताएं?
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में कामाख्या देवी का मंदिर स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 1972 में किया गया था और इसके निर्माण के पीछे एक अनोखी कहानी छिपी हुई है.
Uttarakhand News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में मां कामाख्या (Kamakhya Mandir) का एकमात्र मंदिर पिथौरागढ़ के कुसौली में स्थापित है. मंदिर की स्थापना 22 मार्च 1972 में की गई थी. इस मंदिर के निर्माण के पीछे भी अद्भुत कहानी है. बताया जाता है कि एक सैनिक के सपने में आकर मां कामाख्या ने मंदिर स्थापित करने के लिए कहा था.
मदन मोहन शर्मा ने ऐसे की मंदिर की स्थापना
कुसौली गांव के मदन मोहन शर्मा सेना में तैनात थे. नौकरी के दौरान जब उनकी पोस्टिंग असम में हुई तो वह मां कामाख्या की पूजा-अर्चना करते थे. ऐसा कहा जाता है कि कुछ समय बाद उन्हें सपने में मां कामाख्या ने दर्शन देकर कहा, 'मैं तुम्हारे साथ चलती हूं. इस स्वप्न के बाद मदन मोहन शर्मा ने अपने गांव पिथौरागढ़ आकर गांव की चोटी में मां कामाख्या मंदिर की स्थापना की. इसके बाद स्वंय मंदिर की सेवा में जुट गए. मंदिर की स्थापना के 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं.' यहां देश के अलग-अलग हिस्से से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
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मंदिर के पुजारी ने दी यह जानकारी
मुख्य पुजारी दिलराज भट्ट ने बताया कि यंहा पर अपने मन से कुछ नहीं किया जाता है क्योंकि यंहा पर साक्षात मां कामाख्या मौजूद है. उन्हीं के निर्देशों से सब आयोजन किए जाते हैं. उन्होंने बताया कई भक्तों को मां यंहा पर दर्शन भी दे चुकी हैं. उन्होंने बताया, 'मैं भी पहले अलग रंग के वस्त्र पहनता था,पर मुझे भी मां ने दर्शन देकर जिस रंग के वस्त्र धारण करने के लिए कहा वही पहनता हूं. यहा पर साल भर भक्तों का आना लगा रहता है.' एक श्रद्धालु प्रदीप ने बताया कि वह बचपन से ही मंदिर आ रहे हैं और यंहा पर आकर सुकून मिलता है.
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