पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का एक गांव अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है. सीमांत इलाके में बसा ये गांव पिथौरागढ़ से करीब 150 किलोमीटर दूर है. चीन की सीमा के पास ही ये गांव मौजूद है. इस गांव का नाम है लीलम. इस गांव के लोग यहां स्वास्थ्य सुविधाएं ना होने से बेहद परेशान हैं.
कहने को तो गांव के पास मेडिकल सेंटर है, जो आसपास के तीन गावों के लिए है, लेकिन उसमें स्वास्थ्य सेवाएं न के बराबर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यहां डॉक्टर तक नहीं है. इलाज के लिए उन्हें मुनस्यारी जाना पड़ता है.
गांव के सरपंच अशोक सिंह बताते हैं कि इलाज के लिए ग्रामीणों को पैदल करीब 35 किमी दूर का सफर तय करना पड़ता है. वहीं, गांव की रहने वाली सरस्वती ने बताया कि यहां सड़क तो आ गई है, लेकिन अगर कोई बीमार होता है तो उसे मुनस्यारी ले जाना पड़ता है. क्योंकि गांव के स्वास्थ्य केंद्र में कोई खास सुविधाएं नहीं है. आम दवा लेने के लिए भी उन्हें कई किमी का सफर तय करना पड़ता है.
लीलम के पास दो गांव पातो और बुई के लोग भी मेडिकल सेंटर पर निर्भर हैं, लेकिन सुविधाएं ना होने से हजारों लोग परेशान हैं. कोरोना काल में गांव के लोगों को मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरने की उम्मीद है.
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