Uttarakhand News: उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में प्रादेशिक सेना की भर्ती ने देश में व्याप्त बेरोजगारी की स्थिति को उजागर कर दिया है. 12 से 27 नवंबर तक चलने वाली इस भर्ती रैली में अब तक देशभर से 25,000 से अधिक युवा हिस्सा ले चुके हैं. इनमें बड़ी संख्या में ऐसे स्नातक और परास्नातक युवा भी शामिल हैं, जिनके लिए यह भर्ती उनकी योग्यता से नीचे स्तर की है.


पिथौरागढ़ मिलिट्री स्टेशन पर आयोजित इस भर्ती रैली में सेना के विभिन्न पदों के लिए उत्तराखंड के साथ-साथ बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से हजारों युवा भाग ले रहे हैं. मध्य कमान के जोन-2 के अंतर्गत आने वाले इन राज्यों से 20 नवंबर को अकेले उत्तर प्रदेश से 20,000 से अधिक युवाओं ने रैली में हिस्सा लिया. अगले सप्ताह के भीतर यह संख्या और बढ़ने का अनुमान है.


बेरोजगारी की झलक
भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता हाईस्कूल और इंटरमीडिएट निर्धारित की गई है. इसके बावजूद स्नातक और परास्नातक युवा भी रोजगार पाने की उम्मीद में लंबी कतारों में खड़े हैं. बिजनौर, उत्तर प्रदेश के विवेक कुमार, जिन्होंने बीए किया है, बताते हैं, “बेरोजगारी की वजह से मजबूरी में प्रादेशिक सेना में भर्ती होने के लिए आना पड़ा. मेरे गांव से भी कई साथी आए हैं, जो सभी ग्रेजुएट हैं.” बिहार के भोजपुर जिले से आए कृष्ण कांत गुप्ता, जो बीएससी कर चुके हैं, कहते हैं, मैं एथलीट हूं और अब तक 18 बार सेना की भर्तियों में हिस्सा ले चुका हूं. संघर्ष जारी है.


भर्ती के पद और योग्यता
इन्फैंट्री बटालियन (टीए) कुमाऊं, 153 इन्फैंट्री बटालियन (टीए) डोगरा, और 151 इन्फैंट्री बटालियन (टीए) जाट के लिए विभिन्न पदों पर भर्ती की जा रही है. इसमें 88 पदों पर सैनिक (जीडी), 11 पदों पर सैनिक (क्लर्क), 6 पदों पर सैनिक (कुक), 1 पद पर सैनिक (स्पेशल कुक), 5 पदों पर सैनिक (नाई), 3 पदों पर सैनिक (स्वच्छक), 1 पद पर सैनिक (कारपेंटर), और 2 पदों पर सैनिक (मसालची) शामिल हैं. भर्ती के लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल है, लेकिन युवाओं की मजबूरी उन्हें इन पदों के लिए प्रयास करने पर मजबूर कर रही है.


पिथौरागढ़ की इस भर्ती रैली में युवाओं की भारी भीड़ बताती है कि देश में रोजगार की समस्या कितनी गंभीर है. हर रोज सुबह 5 बजे से शुरू हो रही यह रैली सीमांत क्षेत्र के विकास के लिए तो सकारात्मक है, लेकिन यह बेरोजगारी के बढ़ते संकट का भी प्रतीक है.  यह भर्ती रैली केवल रोजगार का माध्यम नहीं, बल्कि देश के युवाओं की दशा और दिशा का आईना है. रोजगार के नए अवसर पैदा करना और युवाओं को उनकी योग्यता के अनुरूप काम देना सरकार और समाज दोनों की प्राथमिकता होनी चाहिए.


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