एबीपी गंगा के एस्ट्रो शो में पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने आज लोगों को लत डालने ग्रहों के बारे में बताया। इस दौरान उन्होंने तंबाकू की लत के लिए जिम्मेदार ग्रहों के बारे में तो बताया ही साथ ही उपायों पर भी चर्चा की। जैसा कि आजकल हम लोग देखते हैं कि बहुतायत में लोग गुटखा खाने लगे हैं। वहीं, कुछ लोग सिगरेट स्वयं पी रहे हैं और धुआं दूसरों को पिला रहे हैं।
एक ओर तो लोग स्वास्थ्य के प्रति सजग हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ज्ञान होने के बाद भी गुटखा, शराब का नशा कर रहे हैं। एक वक्त था जब भोजन के बाद मुख शुद्धि का प्रावधान था। लोग भोजन करने के बाद पान खाते थे, वह माउथ फ्रेशनर के रूप में इस्तेमाल होता है। उसमें चूना, कत्था, सौंफ, मुलहठी आदि चीजों का प्रयोग होता है। यह सभी प्राकृतिक उत्पाद हैं। सभी स्वास्थ्य वर्धक हैं और इनको खाने से जो रस उत्पन्न होता है, वह पाचन तंत्र को मजबूत करने वाला होता है। इसमें चूने के कारण कैल्शियम की मात्रा सबसे अधिक होती है।
आज के युग में प्राकृतिक उत्पादों के बजाए मिलावटी और सिंथैटिक चीजों का प्रयोग होने लगा और विडम्बना देखिए कि धीरे-धीरे गुटखा आ गया। कैंसर परोसा जाने लगा। हालत यह हो गई है कि प्राकृतिक छोटी इलायची न लेकर पैक्ड सिल्वर कोटेड इलायची खा रहे हैं। ऐसे में वो कौन सी ग्रहीय स्थिति है, जो गुटखा खाने की लत डाल देती है और एक दिन वह लोग कैंसर के खूनी पंजे में अपना मुख दे देते हैं। परिवार के परिवार तबाह हो जाते हैं।
गुटखा खाने वाले सभी व्यक्ति कोई अज्ञानी नहीं हैं, वह सब जानते हैं कि यह गुटखा बहुत ही घातक है। नशेबाज कभी भी अपनी संतान को नशा नहीं करने देता है क्योंकि उसको पता है कि यह घातक है। गुटखा खाने वाले व्यक्तियों को जब इससे मुक्ति दिलाने की सलाह दी जाती है तो नशा करने वाला ग्रह कुतर्क करने लगता है।
तरह-तरह के अनलॉजिकल पारलौकिक ज्ञान प्रस्फुटित होने लगते हैं। जैसे फलाने जी को मुंह का कैंसर हो गया, वह तो कुछ नहीं खाते थे।
दर्शकों यहां एक बात समझ लीजिए कि रोग पूर्व जन्मों के पापों को फलित होने का एक माध्यम है। इसलिए इस तरह के लॉजिक निराधार है। गुटखा पूरी तरह से केमिकल प्रॉसेस है। कुछ घटिया किस्म के गुटखे हैं, उसमें तो सुपारी भी नकली है। केमिकल, सिंथैटिक चीज है जो कि असुरी प्रवृत्ति का कारक है। यह सीधे राहु के अंडर में आती है। राहु मलिन हैं, विषाक्त हैं, सर्प का फन है। यही राहु जब आपके मुख में आए तो कल्पना कीजिए क्या होगा। सोचिये कि आपके मुख में सर्प का फन आ जाए तो साक्षात् काल ही आ गए।
जब कुंडली में चंद्रमा जो कि मन का कारक है, बहुत सौम्य है। यह राहु के अशुभ प्रभाव में आ जाए तो व्यक्ति लती हो जाता है यानी राहु की विषाक्तता चंद्रमा रूपी मन में इंजेक्ट हो जाती है। राहु और शनि के अशुभ प्रभाव वाला व्यक्ति नशे के प्रभाव में अवश्य आता है। दर्शकों आपको यह मालूम होगा कि यही दोनों ग्रह दीर्घ कालिक रोग भी देते हैं।
दर्शकों एक बात दूसरे तरीके से समझिए कि यदि आप गुटखा खाते हैं और काफी लंबे समय से खा रहे हैं तो यह निश्चित है कि कुंडली में कही न कहीं शनि या राहु का कोई अशुभ प्रभाव है। तभी कहीं न कहीं आपके मुख से राहु का कनेक्शन हो रहा है। यदि आप किसी की सलाह नहीं सुनते हैं और चाह कर भी गुटका नहीं छोड़ पा रहे हैं तो इसका यह मतलब है कि आपका गुरु कमजोर है और वह भी राहु के चंगुल में फंस गया है।
जिनकी कुंडली में गुरु की कृपा दृष्टि होती है, वह सही सलाह तुरंत मान जाते हैं। कोई कुतर्क नहीं करते हैं। अपने जीवन का मोल समझते हैं। यही नहीं जो लोग वेदमंत्र या वेद से जुड़े किसी ज्ञान की सलाह देते हैं, उनका मुख शुद्ध होना अनिवार्य है। किसी भी प्रकार का मुख में गुटका तंबाकू यानी विषाक्त हो उनकी सलाह भी निष्फल है। इसलिए सर्वप्रथम दैवज्ञों को इस राहु के कारकत्व से स्वयं को मुक्त रखना चाहिए। अगर द्वार ही अशुद्ध होगा तो सलाह शुद्ध कैसे होगी। अब आप इसका उपाय सोच रहें होंगे कि क्या हो। आत्मबल मजबूत करते हुए गुटका त्याग दें और गुरु रूप ज्ञान की सलाह मानें।