नई दिल्ली, पंडित शशिशेखर त्रिपाठी। सास-बहू का रिश्ता कैसा होता है। इस रिश्ते को कैसे घनिष्ठ बना सकते हैं। कैसे दोनों के बीच प्यार बढ़ा सकते है। सास-बहू के इस रिश्ते के बारे में विस्तार से बता रहे हैं आपके अपने एस्ट्रो फ्रेंड पंडित शशिशेखर त्रिपाठी। सास बहू का जो रिश्ता होता है, वह बहुत संवेदनशील होता है। वैसे इस संबंध का प्रारूप तो मां-बेटी का होता है, लेकिन मां-बेटी के भाव में कमी देखी जाती है।
अब ग्रहों की स्थिति कैसी होगी जिससे सास-बहू का संबंध मधुर होगा। बहुत टेक्निकल न बताते हुए सरल शब्दों में समझने का प्रयास करते हुए पंडित जी इसके बारे में बता रहे हैं, ताकि आप स्पष्ट हो सकें।
कैसे होगी सास
सास की कुंडली में शुक्र अच्छा है, तो बहुत सुख मिलता है।
वहीं, यदि बहू की कुंडली में चंद्रमा अच्छा है, तो साल बहुत प्यार करती है। दोनों के बीच मां-बेटी की भाति प्रेम होता है।
यदि बहू की कुंडली में चंद्रमा खराब स्थिति में हो जाए। जैसे चंद्रमा यदि नीच का हो जाए, तो सास प्रेम तो करती है, लेकिन बीच- बीच में ताने देने में भी नहीं चूकती। जब वह नकारात्मक बोलती है, तो बहू कंफ्यूज हो जाती है कि सास वाकई में प्रेम करती है या नहीं।
यदि बहू की कुंडली में गुरु नीच के चंद्रमा को देख लें, तो जो सास के ताने होते हैं वह सही समय में दी गयी कड़वी दवा होती है।
यदि चंद्रमा के साथ राहु आ जाए, और यह स्थिति लग्न में बन जाएं तो सास के कारण मानसिक तनाव रहता है। यदि सास कि व्यक्तिगत कुंडली पॉजटिव न हो, तो ऐसी सास बहू के खिलाफ बहुत षड्यंत्र करती रहती है, जिससे बहू को मानसिक तनाव रहता है। छोटी-छोटी गलतियों पर सास बहुत क्रोधित हो जाती है और सार्वजनिक रूप से भी अपमान करने में भी संकोच नहीं करती है।
अगर चंद्रमा के साथ केतु आ जाए तो सास गुप्त रूप से ईर्ष्या का भाव रखती है।
अगर शुक्र और चंद्रमा के साथ हैं, तो भी यह अच्छी बात नहीं है। दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं और व्यक्तिगत कुंडली में नकारात्मकता हुई तो अति अपमानजनक आरोप लगते हैं।
चंद्रमा उच्च का है और शुक्र साथ में तो स्थिति संभल जाती है और आपस में बनने लगती है।
कैसे होगी बहू
सास की कुंडली में यदि शुक्र उच्च का हो जाएं, तो बहू बहुत संस्कारी होती है और परिवार के संस्कार को और आचार-विचार को आगे लेकर चलती है।
यदि शुक्र नीच का हो जाए और पापी ग्रहों से युत हो जाए, यानि एफेक्टेड हो जाएं तो परिवार के संस्कारों और परम्पराओं को तोड़ने वाली होती है। और पाश्चात संस्कृति तो मानने वाली होती है।
यदि नीच के शुक्र के राहु भी साथ में आ जाए, तो बहू सास का सम्मान कम करती है, लेकिन सास बहुत मंडन है और वे नयी जमाने की सोच वाली है तब बहू के साथ मित्रवत संबंध बनता है।
उपाय
चंद्रमा के साथ यदि राहु है, तो सास बहू को एक साथ बैठकर एक भजन गाना चाहिए। नहीं तो भगवत् नाम का जाप करना चाहिए।
सास बहू को एक साथ प्रदोष और सोमवार को शिव मंदिर जाना चाहिए।
शिव मंदिर जाकर कलश से जलाभिषेक एक साथ करना चाहिए।
मानिए बहू की कुंडली में चंद्रमा और सास की कुंडली में शुक्र खराब हो, तो शिव मंदिर जाकर एक साथ दूध और शहद का अभिषेक करें।
एक व्यवहारिक उपाय में बहू को रात्रि में सास को दूध देना चाहिए।
साथ भोजन करना अति आवश्यक है, बैडरूम में भोजन न करें।
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