Uttarakhand News: उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट पर हमेशा से पेड़ो के प्लांटेशन को लेकर सवाल उठते रहे हैं, कई बार देखा गया है कि प्लांटेशन को लेकर घपले की आशंका भी जताई जा चुकी है, अब इसको लेकर जल्द ही एक बड़ी तैयारी की जा रही है. अब ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से यह बताना होगा कि किस डिवीजन में कितने पेड़ लगे हैं, और कहां-कहां लगे हैं, इसको लेकर प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी कहा है की यह प्रक्रिया ऑनलाइन करने से यह पूरी तरह पारदर्शी होगी.
उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि नई प्लांटेशन नीति के अंतर्गत हमने नई व्यवस्था बनाई है, जिसके अंतर्गत जहां पर भी प्लांटेशन होगा उसे, ऑनलाइन करना पड़ेगा. साथ ही विभाग को यह भी बताना होगा कि किस-किस प्रजाति के पेड़ लगाए गए हैं और कहां-कहां पर लगाए गए हैं, और कितनी संख्या में पेड़ लगाए हैं. इस प्रकार से पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने से विभाग पर जो सवाल उठाते आए हैं वह सवाल नहीं आगे नहीं उठेंगे.
प्लांटेशन का सर्वाइवल दर काफी कम
अगर पिछले कुछ सालों की बात करें तो पिछले 5 सालों के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में पिछले 5 सालों में 8 करोड़ के आसपास पेड़ों के पोधे लगाए गए. इन पेड़ों को लगाने में करोड़ों की लागत लगी, क्योंकि उत्तराखंड में प्लांटेशन का सर्वाइवल दर काफी कम है जिसे लगभग 30% ही माना जाता है. मतलब आप सौ पेड़ लगाते हैं तो उसमें से मात्र 30 पेड़ ही बच पाएंगे ऐसे में इतना बड़े प्लांटेशन के बाद भी अगर आंकड़ा देखा जाए तो 8 करोड़ में से 2 करोड़ चालीस लाख पेड़ बचे होंगे.
फिलहाल यह पेड़ कहां है यह तो विभाग ही जाने लेकिन अब जिस तरह से प्लांटेशन नीति को वन विभाग में लागू किया जा रहा है, उससे एक बात तो साफ है, कि विभाग में लगाए गए पेड़ों का लेखा जोखा अब हर किसी के पास होगा. आप एक क्लिक में ऑनलाइन यह जान सकेंगे कि उत्तराखंड में किस डिवीजन ने किस जगह पर किस-किस प्रजाति के कितने पेड़ लगाए गए हैं.इस नीति को लेकर प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है, कि सभी प्रकार की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए ताकि हम पर या हमारे विभाग पर कोई उंगली ना उठा सके. प्लांटेशन नीति लागू होने के बाद प्रदेश में प्लांटेशन को लेकर उठने वाले सवाल आगे से नहीं उठ पाएंगे.
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