Farm Laws Repeal: कृषि कानूनों पर डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने बड़ा बयान दिया है. यूपी के डिप्टी सीएम ने कहा कि पीएम संवेदनशील और राष्ट्रहित में काम करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि पीएम की 7 साल की नीति देखें तो कृषि, किसान पर आधारित है. शर्मा ने कहा कि आरोप लगाकर विपक्षियों ने अच्छी चीजों का दुष्प्रचार करने का काम किया गया है. पीएम ने कृषि कानून वापस लिया है, नीति और नियत को वापस नहीं लिया, वो और मजबूत हुई है. विपक्ष सब कुछ चुनावी नजरिये से देखता है. विकास, कानून, शिक्षा, स्वास्थ्य के नाम पर उनके पास कोई मुद्दा नहीं है.
तीनों कृषि कानून को वापस लेने को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने चुनावी स्टंट बताया है. उनका साफ तौर पर कहना है कि यह चाहे जो कुछ भी कर ले लेकिन अब जनता इनके बहकावे में नहीं आने वाली है और चुनाव खत्म होने के बाद एक बार फिर इन कानूनों को नए रूप में लागू कर सकती है. पिछले काफी समय से चल रहे किसान आंदोलन का अब क्या होगा. वहीं, राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा. आंदोलन तब तक वापस नहीं होगा, जब तक संसद में कानून वापस नहीं लिए जाएंगे.
किसानों ने किया सरकार के इस फैसले का स्वागत
जालौन के किसानों ने सरकार के इस फैसले को स्वागत योग्य बताया और कहा कि सरकार ने जिस तरह से इस कानून को संसद में जैसे पारित किया था, ठीक उसी तरह से वापस ले लें. किसानों ने कहा है कि सरकार देर आए, दुरुस्त आए लेकिन इस आंदोलन में जिन किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी. सरकार उनके बारे में सोचे. इसके साथ ही एमएसपी पर भी कानून बनाएं जिससे बुंदेलखंड के किसान खुशहाल हो सकें. बता दें कि राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कानून वापस लेने की घोषणा के बाद कन्नौज ज़िले के आलू किसानों में खुशी लहर छा गई. अब जब बिल वापस हो गए है तो किसान बहुत खुश दिखाई दे रहे हैं.
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