UP Election : आईएएनएस-सीवोटर स्नैप पोल का एक सर्वे सामने आया है. सर्वे के अनुसार 56 फीसदी से अधिक लोगों ने महसूस किया है कि पिछले कई वर्षो में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव बढ़ा है. जबकि सर्वे भाग लेने वाले में 43.4 प्रतिशत लोगों ने दावा किया कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव नहीं बढ़ा, वहीं 35 प्रतिशत लोगों ने सर्वे में महसूस किया कि मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव बहुत बढ़ गया है.
विध्वंस के 30वीं वर्षगांठ पर हुआ सर्वे
6 दिसंबर 1992 को हुए बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 30वीं वर्षगांठ पर ये सर्वे सामने आया है. जिसमें वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर 5 दिसंबर 2021 को 1942 के लिए एक सैंपल का उपयोग कर सर्वेक्षण किया गया. जिसमें प्रभावी रूप से 56 प्रतिशत से अधिक लोगों ने महसूस किया कि मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव बढ़ गया है, जबकि 21.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भेदभाव कुछ हद तक बढ़ गया है.
एनडीए और विपक्षी समर्थकों की अलग राय
सर्वे में एनडीए और विपक्षी दलों के समर्थकों के बीच खाई को स्पष्ट समझा जा सकता है. जिसमें एनडीए के 20 प्रतिशत समर्थक ये महसूस करते हैं कि भेदभाव बहुत बढ़ गया है. जबकि 45.6 प्रतिशत विपक्षी समर्थकों ने माना की भेदभाव बहुत बढ़ गया है. सर्वे में एनडीए समर्थकों के 58 प्रतिशत लोग दावा करते हैं कि नरेंद्र मोदी के शासन काल में मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव नहीं बढ़ा है. जबकि 33 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं का भी ऐसा ही मानना है.
बता दें कि पिछले दिनों में भारत की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार पर विदेशों के उदारवादियों, कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार निकायों ने आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यकों, खास तौर पर मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है.
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