(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कॉप-14 सम्मेलन में बोले PM मोदी, हमारी संस्कृति में धरती मां जैसी
ग्रेटर नोएडा में कॉप-14 को संबोधित करते हुए PM मोदी ने कहा कि हमारी संस्कृति में धरती मां के है। इस सम्मेलन में 196 देशों ने हिस्सा लिया है। दुनिया को बढ़ते मरुस्थलीकरण से बचाने की मुहिम के चलते इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है।
ग्रेटर नोएडा, एबीपी गंगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में चल रहे 12 दिवसीय कॉप -14 (कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज) में शिरकत की। इस दौरान सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में पार्टियों के सम्मेलन के 14 वें सत्र के लिए मैं आप सभी का भारत में स्वागत करता हूं। पीएम ने कहा कि भारत इन दो साल के कार्यकाल में कॉप प्रेसीडेंसी को संभालने के लिए प्रभावी योगदान देने के लिए भी तत्पर है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन, जल संकट और प्लास्टिक के इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की। पीएम ने कहा कि दुनिया आज जलवायु परिवर्तन के मसले पर नकारात्मक सोच सोच का सामना कर रहा है। यही कारण है कि समुद्रों का जल स्तर बढ़ रहा है। भारी बारिश, बाढ़ और तूफान जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
पीएम ने कहा कि इन समस्याओं से निपटने के लिए भारत ने तीन बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया है। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया आज पानी की समस्या से जूझ रही है। पानी बचाने के लिए दुनिया को आज सेमिनार बुलाने की जरूरत है। जहां इन मसलों का हल निकाला जा सके। पीएम ने कहा कि भारत पानी बचाने और उसके सही इस्तेमाल की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। पीएम बोले कि भारत ने ग्रीन कवर यानी पेड़-पौधों को लगाने पर जोर दिया है। साल 2015-2017 के बीच भारत का जंगल का एरिया बढ़ा है। इस दौरान एक बार फिर से पीएम मोदी ने प्लास्टिक के इस्तेमाल को छोड़ने का आह्वान किया है।
बता दें कि दुनिया को बढ़ते मरुस्थलीकरण से बचाने की मुहिम के तहत ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में कॉप -14 (कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज) सम्मेलन का आयोजन किया गया है। दो सितंबर से शुरू हुए कॉप -14 का शुभारंभ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया था। दुनिया के करीब 196 देशों के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। ये 12 दिवसीय सम्मेलन 13 सितंबर तक चलेगा।
इससे पहले रविवार को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने चीन के साथ पर्यावरण के मुद्दे पर द्विपक्षीय बैठक की थी। जिसके बाद उन्होंने कहा कि दुनियाभर में उत्पन्न मरुस्थलीकरण के खतरे से निपटने के लिए जनांदोलन आवश्यक है। मरुस्थलीकरण उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें सूखा, बाढ़, वन की कटाई और गलत कृषि के कारण उपजाऊ जमीन बंजर बनता जा रही है। यह बैठक संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण निरोधक संधि से जुड़े प्रस्तावित उच्चस्तरीय 14वें कांफ्रेंस ऑफ पार्टिज पहले हुई है।
फिलहाल इस सम्मेलन की अध्यक्षता चीन करते आया है। साल 2017 में पहली बार चीन द्वारा इसका आयोजन किया गया था, लेकिन अगले दो वर्ष यानी की 2020 तक इस सम्मेलन का आयोजन भारत कर रहा है। बता दें कि भारत में पहली बार बड़े स्तर पर इस तरह के सम्मेलन का आयोजन किया गया है।
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