UP News: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को कहा कि भीम राव आंबेडकर के दिए संविधान में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के आरक्षण में ‘मलाईदार तबके’ (क्रीमी लेयर) के लिए कोई प्रावधान नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट द्वारा हुए इस फैसले से बीएसपी चीफ मायावती और चंद्रशेखर की मांग पूरी हो चुकी है. 


दरअसल, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएसपी चीफ ने अनुसूचित जातियों (एससी) के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का विरोध किया था. मायावती ने कहा, 'एससी और एसटी के आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति दी गई है, हमारी पार्टी इससे सहमत नहीं है.'


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दोनों ने किया था विरोध
उन्होंने कहा, "एससी और एसटी के लोगों द्वारा अपने ऊपर किए गए अत्याचारों का सामना एक समूह के रूप में किया गया है और यह समूह समान है, इसमें किसी भी तरह का उप-वर्गीकरण करना सही नहीं होगा।" उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी. दूसरी ओर ऐसी ही मांग नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी रखी थी. 


नगीना के सांसद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से जब भी आरक्षण के संदर्भ में निर्णय आया SC/ST/OBC के खिलाफ आया है. हम अपने लोगों को बंटने नहीं देंगे. क्योंकि, हमें अपने लोगों की चिंता है. बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि जब उनके निजी हित और राष्ट्रीय हित के बीच टकराव होगा, तो वे राष्ट्रीय हित को चुनेंगे. ऐसे में जब भी समुदाय के हित और राष्ट्रीय हित के बीच टकराव होगा, तो वे समुदाय के हित को ही चुनेंगे.


मंत्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में बताते हुए कहा कि बी आर आंबेडकर के दिए संविधान के अनुसार, एससी-एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ के लिए कोई प्रावधान नहीं है. एससी-एसटी आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुरूप होना चाहिए.