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देश को ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की सौगात, 'खुर्जा-भाउपुर' सेक्शन का PM मोदी ने किया उद्घाटन

पीएम नरेंद्र मोदी ने ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के न्यू खुर्जा-न्यू भाऊपुर सेक्शन का उद्घाटन किया है. 5,750 करोड़ रुपये की लागत से बना 351 किमी लंबा यह आधुनिक सेक्शन 25 एक्सल टन वेगन क्षमता के साथ भारी और लंबी ढुलाई के अनुकूल है.

प्रयागराज. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) राष्ट्र को समर्पित किया है. पीएम ने 351 किलोमीटर लंबे रेल खंड न्यू खुर्जा से न्यू भाऊपुर डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का वर्चुअली उद्घाटन किया. इसके अलावा मोदी ने प्रयागराज के सूबेदारगंज में बनाए गए ईडीएफसी के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर का भी उद्घाटन किया. यह कंट्रोल रूम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. यहां से पूरे कॉरिडोर की मॉनिटरिंग की जा सकेगी. हर दो किलोमीटर पर लगाए गए सिगन्ल की जानकारी होगी. साथ ही हर किलोमीटर की लोकेशन कंट्रोल रूम को मिलती रहेगी. देश में ऐसा पहली बार होगा जब कंट्रोल रूम में लगे स्क्रीन पर ट्रेन लाइव दिखाई देगी. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद रहे. वहीं यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ भी कार्यक्रम से वर्चुअली जुड़े.

21वीं सदी को नई पहचान देने वाला है आज का दिन: मोदी उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने संबोधित भी किया. मोदी ने कहा, "आज का दिन भारतीय रेल के गौरवशाली अतीत को 21वीं सदी की नई पहचान देने वाला दिन है. ये भारत और भारतीय रेल का सामर्थ्य बढ़ाने वाला है दिन है. आज आजादी के बाद का और आधुनिक रेल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को हम धरालत पर उतरते हुए देख रहे हैं." मोदी ने कहा कि आज जब खुर्जा-भाउपुर कॉरिडोर पर पहली मालगाड़ी दौड़ी तो उसमें नए भारत की गुंज और गर्जना स्पष्ट सुनाई दी. प्रयागराज में ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर भी नए भारत के नए सामर्थ्य का प्रतीक है. ये दुनिया के बेहतरीन और आधुनिक कंट्रोल सेंटर में से एक है. ये जानकर हर किसी को गर्व होगा कि इसमें मैनेंजमेंट और डेटा से जुड़ी तकनीक को भारत में भारतीयों द्वारा तैयार किया गया है.

इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी राष्ट्र के सामर्थ्य का सबसे बड़ा स्रोत होता है. इंफ्रास्ट्रक्चर में कनेक्टिविटी राष्ट्र की नसें होती हैं. नसें बेहतर होने से कोई राष्ट्र सामर्थ्यवान और स्वस्थ होता है. आज जब भारत दुनिया में बड़ी आर्थिक ताकत बनने के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. तब बेहतरीन कनेक्टिविटी देश की प्राथमिकता है. इसी सोच के साथ बीते 6 सालों से भारत में आधुनिक कनेक्टिविटी के हर पहलू पर फोकस के साथ काम किया जा रहा है. हाईवे, रेलवे, एयर वे, वॉटर वे, आईवे आर्थिक रफ्तार के लिए जरूरी इन पांचों पहियों को ताकत और गति दी जा रही है. ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का लोकार्पण भी इसी दिशा में बड़ा कदम है.

मोदी ने यूपीए सरकार पर साधा निशाना मोदी ने इस दौरान यूपीए सरकार पर निशाना भी साधा. उन्होंने कहा कि ये प्रोजेक्ट 2014 से पहले की सरकार की कार्यशैली का जीता-जागता उदाहरण है. साल 2006 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली, उसके बाद ये सिर्फ कागजों और फाइलो में बनता रहा. केंद्र को राज्यों के साथ जिस गंभीरता से बात करनी चाहिए थी वो किया ही नहीं. नतीजा ये हुआ कि काम अटक गया. स्थिति ये थी कि साल 2014 तक एक किमी ट्रैक भी नहीं बिछाया गया. इसके लिए जो पैसा मंजूर किया गया वो सही तरीके से खर्च नहीं किया गया. 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद इस प्रोजेक्ट की फाइलों को फिर खंगाला गया, अधिकारियों को नए सिरे से आगे बढ़ने के लिए कहा गया. इसका बजट 11 गुना यानी 45 हजार करोड़े रुपये से अधिक बढ़ गया. बैठकों में मैंने खुद इसकी मॉनिटरिंग की. इंफ्रास्ट्रक्चर पर राजनीति का नुकसान सिर्फ फ्रेड कॉरिडोर ने ही नहीं उठाया. पूरे रेलवे से जु़ड़ा सिस्टम इसका भुक्तभोगी रहा है.

मोदी ने बताया क्यों पड़ी इसकी जरूरत मोदी ने कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर मालगाड़ी के लिए विशेष ट्रैक है. हमारे खेत, बाजार, उद्योग ये सब मालगाड़ी ढुलाई पर निर्भर होते हैं. फसलों को देश के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाना पड़ता है. एक्सपोर्ट के माल को बंदरगाहों तक पहुंचाना पड़ता है. उसी तरह उद्योग के लिए कच्चा माल समंदर के रास्ते आता है. इस काम में सबसे बड़ा माध्यम हमेशा से रेलवे रही है. जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, अर्थव्यवस्था बढ़ी तो माल ढुलाई के नेटवर्क पर दबाव बढ़ता गया. हमारे देश में यात्री ट्रेनें और मालगाड़ी दोनों एक ही ट्रैक पर चलती हैं. इससे मालगाड़ी की स्पीड कम होती है. मालगाड़ी को रास्ता देने लिए यात्री ट्रेनों को स्टेशन पर रोका जाता है. इससे ट्रेन और मालगाड़ी दोनों लेट हो जाती है. इससे ट्रांसपोर्टेशन की लागत भी ज्यादा आती है. जिसका असर, खेती, खनिज उत्पाद और औद्योगिक उत्पादों की कीमत पर पड़ता है. महंगा होने के कारण वो देश और विदेश के बाजारों में होने वाली प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाती. इसी व्यवस्था को बदलने के लिए फ्रेड कॉरिडोर की योजना बनाई गई.

क्या बोले योगी आदित्यनाथ सीएम योगी ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया. उन्होंने कहा, "हम सब जानते हैं कि भारतीय रेल देश के विकास की जीवन रेखा है. यूपी आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है. प्रदेश के विकास में भारतीय रेल की भूमिका सबको पता है. बड़े रेल नेटवर्क के साथ ही यूपी विशेष स्थान रखता है."

योगी ने आगे कहा कि आज का दिन इसीलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि पीएम मोदी की ओर से ईडीएफसी का पहला सेक्शन राष्ट्र को समर्पित हुआ है. कॉरिडोर से मालगाड़ियों की औसत स्पीड में इजाफा होगा. बीते पांच सालों में इस परियोजना के काम में तेजी आई है. योगी ने कहा, "ये खुशी की बात है कि पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस और सबसे तेज ट्रेन वंदे भारत यूपी में संचालित हुई. प्रदेश में बीते चार सालों में मानव रहित फाटक तेजी से हटाए गए जिससे जान-माल की हानि को कम करने में सफलता मिली है."

फ्रेट कॉरिडोर के फायदे

- 5,750 करोड़ रुपये की लागत से बना 351 किमी लंबा यह आधुनिक सेक्शन 25 एक्सल टन वेगन क्षमता के साथ भारी और लंबी ढुलाई के अनुकूल है.

- कॉरिडोर के कारण मालगाड़ियों की औसत स्पीड मौजूदा 25-30 किमी प्रति घंटा से बढ़कर 60-70 किमी प्रति घंटा हो जाएगी.

- उत्तरी भारत से पूर्वी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों तक कोयला, लोहा, स्टील, पेट्रोलियम उत्पाद, खाद्यान्नों का परिवहन सुगम होगा

- नए सेक्शन की वजह से अलीगढ़, खुर्जा, फिरोजाबाद, आगरा और भाऊपुर के किसानों की पहुंच बड़े बाजारों तक होगी

- मौजूदा कानपुर-दिल्ली मेन लाइन पर भार कम होगा, जिससे यात्री ट्रेनों का ज्यादा संचालन संभव होगा

- माल गाड़ियों के परिवहन भाड़े में भी कमी आएगी.

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