Hindu Mandir in Abu Dhabi: पीएम नरेंद्र मोदी आज आबू धाबी में मंदिर का उद्घाटन करेंगे. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के नेता और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बड़ी प्रतिक्रिया दी है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा- 'श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के बाद आबू धाबी (मुस्लिम देश) में भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया! मोदी हैं तो मुमकिन है! तीसरी बार मोदी सरकार!'
इससे पहले यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी इस मंदिर पर प्रतिक्रिया दी थी. पाठक ने कहा था - 'यह एक अद्भुत बात है कि दुनिया भगवान राम का जश्न मना रही है. राम लला का एक मंदिर अयोध्या में बनाया गया है और अब अबू धाबी, जहां कोई कल्पना भी नहीं कर सकता.'
बता दें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को दो दिवसीय यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंचे. इस दौरान वह द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए खाड़ी देश के शीर्ष नेताओं के साथ चर्चा करेंगे. प्रधानमंत्री अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन भी करेंगे. वर्ष 2015 के बाद से प्रधानमंत्री मोदी की यह यूएई की सातवीं यात्रा है. मोदी के यूएई आगमन पर उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया. अबू धाबी में मोदी बुधवार को बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा निर्मित हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे.
अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर वैज्ञानिक तकनीकों और प्राचीन वास्तुशिल्प विधियों का संगम
दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा निर्मित यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है.
इस मंदिर में तापमान मापने और भूकंपीय गतिविधि पर नजर रखने के लिए उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं. मंदिर के निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नींव को भरने के लिए उड़न राख यानी ‘फ्लाई ऐश’ (कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख) का उपयोग किया गया है. इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है.
मंदिर प्राधिकारियों के अनुसार, इस भव्य मंदिर को ‘शिल्प’ और ‘स्थापत्य शास्त्रों’ में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार बनाया गया है. ‘शिल्प’ और ‘स्थापत्य शास्त्र’ ऐसे हिंदू ग्रंथ हैं, जो मंदिर के डिजाइन और निर्माण की कला का वर्णन करते हैं.
बीएपीएस के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने कहा, ‘इसमें वास्तुशिल्प पद्धतियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. तापमान, दबाव और गति (भूकंपीय गतिविधि) को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं. सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे. यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है, तो मंदिर इसका पता लगा लेगा.’