PM Poshan Yojana: उत्तराखंड के नैनीताल, बागेश्वर, देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी जिलों के 53 स्कूलों में पीएम पोषण योजना के तहत परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं. जांच के दौरान इन स्कूलों में दिए जाने वाले चावल, दाल और सब्जियों में ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा तय मानकों से कम पाई गई. इस गंभीर मामले पर उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने स्वत संज्ञान लेते हुए माध्यमिक शिक्षा के निदेशक से 28 नवंबर तक जांच रिपोर्ट तलब की है.



सरकारी स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चल रही पीएम पोषण योजना (पूर्व में मध्याह्न भोजन योजना) के तहत परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए एक टीम द्वारा निरीक्षण किया गया. जांच में यह पाया गया कि जिन 53 स्कूलों की जांच की गई थी, वहां दिए जाने वाले भोजन में न केवल ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा तय मानकों से कम थी, बल्कि भोजन की समग्र गुणवत्ता भी खराब थी. यह बच्चों के स्वास्थ्य और उनके विकास पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.

विशेष रूप से चावल, दाल और सब्जियों में पोषक तत्वों की कमी को देखते हुए राज्य परियोजना निदेशक ने संबंधित जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों (सीईओ) को चेतावनी जारी की थी. इसके बाद भी कई स्कूलों में स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ, जिससे यह मुद्दा और गंभीर हो गया है.

मानवाधिकार आयोग का हस्तक्षेप
भोजन की खराब गुणवत्ता की रिपोर्ट सामने आने के बाद उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया है. आयोग ने माध्यमिक शिक्षा के निदेशक को निर्देशित किया है कि वे इस मामले की विस्तृत जांच कर 28 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करें. आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि बच्चों को पौष्टिक और गुणवत्ता युक्त भोजन मिले, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है.

राज्य परियोजना निदेशक की सख्त कार्रवाई
जांच रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य परियोजना निदेशक ने दोषी पाए गए जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी है. उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे स्कूलों में भोजन की गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करें और सुनिश्चित करें कि पीएम पोषण योजना के तहत दिए जाने वाले भोजन में सभी पोषक तत्व मानकों के अनुरूप हों. राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि इस योजना के तहत सभी बच्चों को संतुलित और पोषक भोजन मिले ताकि उनके स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े.

जिलों की स्थिति
नैनीताल, बागेश्वर, देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी जिलों के 53 स्कूलों में यह जांच की गई थी, जहां भोजन की गुणवत्ता में कमी पाई गई. यह चिंता का विषय है क्योंकि इन जिलों में बड़ी संख्या में छात्र पीएम पोषण योजना पर निर्भर हैं. स्थानीय प्रशासन और शिक्षा अधिकारियों से इस मामले में जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद की जा रही है, ताकि भविष्य में इस तरह की खामियों को रोका जा सके.

उत्तराखंड के स्कूलों में पीएम पोषण योजना के तहत परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता पर उठे सवालों ने न केवल शिक्षा विभाग को बल्कि मानवाधिकार आयोग को भी चिंतित कर दिया है. बच्चों के स्वास्थ्य और उनके विकास के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें पौष्टिक और सुरक्षित भोजन मिले. अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा 28 नवंबर तक दी जाने वाली रिपोर्ट में क्या खुलासे होते हैं और इसके आधार पर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा क्या कदम उठाए जाएंगे.


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