लखनऊ, एजेंसी। उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से होने वाली मौतों का मामला बुधवार को विधानसभा में उठा और विपक्षी सदस्यों ने शराब माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। प्रश्नकाल के दौरान सपा और बसपा सदस्यों ने जहरीली शराब से होने वाली मौतों का मुद्दा उठाया ।
सदस्यों ने सरकार से प्रश्न किया कि जहरीली शराब से होने वाली मौतों की घटनाओं में कितनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया और कितनों को दंड मिला ।
कांग्रेस के नेता अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाया कि जो लोग इसमें शामिल थे, जो शराब माफिया इसमें संलिप्त हैं, ना तो उन्हें चिह्नित किया गया और ना ही उनके खिलाफ कार्रवाई की गयी ।
उन्होंने सवाल किया कि जो माफिया इस शराब के खेल में लिप्त हैं, उनके खिलाफ क्या सरकार कड़ी कार्रवाई का निर्देश जारी करेगी। इस पर आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि कानूनों को कड़ा बनाया गया है और जुर्माने की राशि में कई गुना वृद्धि की गयी है । आजीवन कारावास एवं मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है ।
मौतों का आंकडा देते हुए सिंह ने बताया कि 2017 में आजमगढ़ में 26 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई । उन्होंने बताया कि 2018 में बाराबंकी में चार, गाजियाबाद में चार, कानपुर नगर में पांच, कानपुर देहात में चार, बिजनौर में एक और शामली में पांच लोगों की मौत हुई।
उन्होंने बताया कि 2019 में कुशीनगर में आठ, सहारनपुर में 36, कानपुर नगर में 10 और बाराबंकी में 24 लोगों की मौत हुई ।
मंत्री ने बताया कि विभागीय स्तर पर निलंबन की कार्रवाई की जाती है । हर घटना के बाद संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाती है और जितने भी मामले हुए हैं, लगभग सभी में आरोपपत्र दाखिल हो चुके हैं ।