देहरादून, एबीपी गंगा। एक तरफ जब पूरा देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से बचने के लिए रास्ते तलाश रहा है तो वहीं कुछ लोग इस मौके का फायदा उठाकर अपनी जेब भर रहे हैं। इसकी बानगी बुधवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में देखने को मिली। लॉकडाउन के दौरान परेशान लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर एक फर्जी दारोगा सड़कों पर उतर आया। फर्जी दारोगा ने लोगों को धमकाकर उनके फर्जी चालान काटे और वसूली भी की।


कैंट कोतवाली पुलिस ने फर्जी दारोगा को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी लॉकडाउन का फायदा उठाकर लोगों से वसूली कर रहा था। आरोपी ने पंजाब नारकोटिक्स विभाग में तैनात अपने भाई को दारोगा बताया है। सीओ मसूरी नरेंद्र पंत ने बताया कि हेमंत अग्रवाल पुत्र जुगल किशोर निवासी कैंट ने कोतवाली कैंट में तहरीर दी। उन्होंने बताया कि 24 मार्च की शाम के समय वह अपने साथी के साथ जा रहे थे।


आरोप है कि फर्जी दारोगा ने चालान के बहाने पैसे ठग लिए। सर्किट हाउस क्षेत्र में ठगी के कई अन्य मामले सामने आए हैं। शिकायत आने पर बुधवार को आरोपी के खिलाफ अज्ञात में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया। कोतवाली प्रभारी संजय मिश्रा ने बताया कि जांच उपनिरीक्षक राजेश सिंह के सुपुर्द की गई। कोतवाली प्रभारी ने बताया कि बुधवार की देर शाम सूचना मिली कि कैंट क्षेत्र से फर्जी दारोगा वसूली कर रहा है।



सूचना पर पुलिस टीम ने उसे स्कूटर समेत गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के पास से 41 सौ रुपए बरामद किए गए हैं। आरोपी के पास मिली वर्दी को सील कर दिया गया है। आरोपी ने नाम राजेंद्र ऑफ राजन पुत्र गुरुदयाल निवासी पुराना दाना मंडी मोगा पंजाब हाल निवासी थाना कैंट बताया। देहरादून पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि 'गिरफ्तार फर्जी दारोगा राजेंद्र उर्फ राजन (32) मूलरूप से पंजाब के पुराना दाना मंडी मोगा का रहने वाला है। वर्तमान में कैंट थाना क्षेत्र देहरादून में रह रहा था। आरोपी ने पुलिस पूछताछ में कबूला कि उसका एक भाई पंजाब नारकोटिक्स विभाग में तैनात है।'



देहरादून पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक, 'लॉकडाउन के दौरान जिला पुलिस आमजन की हरसंभव मदद की कोशिश में जुटी है। कोरोना के चलते लॉकडाउन में नागरिकों ने खुद को घरों में बंद कर रखा है। ऐसे में पुलिस उनके लिए दवाई, घरेलू रोजमर्रा की जरुरत और इस्तेमाल की वस्तुएं खुद दरवाजे पर पहुंचाने में जुटी है। जिले के हर थाने की पुलिस के इस बाबत सहयोग करने के निर्देश देहरादून के उप-महानिरीक्षक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा पहले ही दिए जा चुके हैं।'