ठगी करने वाला अन्तर्राष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़, दर्जनों अमेरिकी नागरिकों से लोन के नाम पर लाखों वसूले
कानपुर में पकड़े गये दो लोगों ने बताया कि वे लोन देने के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को अपना शिकार बनाते थे. यही नहीं, बिटाक्वाइन से पेमेंट लिया जाता था. पुलिस ने कई और चौंकाने वाले खुलास किये हैं.
Police busted International call center in Kanpur: कानपुर पुलिस ने लोन दिलाने के नाम पर अमेरिकी नागरिकों से ठगी कर रहे एक अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. इस कॉल सेंटर के जरिये अमेरिकी नागरिकों से अबतक लाखों रुपए की ठगी की जा चुकी थी. इन लोगों ने अमेरिका की लोन कंपनियों के नाम से फॉर्म के फॉर्मेट बना रखे थे. पुलिस ने गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके पास से एक लैपटॉप बरामद किया है जिसमें दो लाख अमेरिकी नागरिकों का डाटा भी मिला है.
दर्जनों अमेरिकी नागरिकों से की ठगी
होम लोन और पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर अमेरिकी नागरिकों से ठगी के एक नए गैंग का कानपुर क्राइम ब्रांच ने खुलासा किया है. नौबस्ता थाना क्षेत्र में पिछले 6 महीने से चल रहे इस अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर से अब तक दर्जनों अमेरिकी नागरिकों से लाखों रुपए की ठगी की जा चुकी है. क्राइम ब्रांच की टीम को पकड़े गए अभियुक्तों से पूछताछ में पता चला है कि उनके कई साथी नोएडा और अन्य दूसरे शहरों में बैठकर अमेरिकी नागरिकों को ठगने का काम कर रहे थे. पुलिस ने इनके पास से एक लैपटॉप, हार्ड डिस्क और करीब 2 लाख अमेरिकी नागरिकों का डाटा भी बरामद किया है.
मौके से दो अभियुक्त गिरफ्तार
पुलिस की माने तो क्राइम ब्रांच द्वारा नौबस्ता हंसपुरम के एक मकान में छापेमारी की गई. मकान के ग्राउंड फ्लोर में अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर को क्राइम ब्रांच ने पकड़ लिया मौके से पकड़े गए दो अभियुक्तों की पहचान नौबस्ता हंसपुरम निवासी रवि शुक्ला और आवास विकास हंसपुरम नौबस्ता निवासी विशाल सिंह के रूप में हुई. जिस मकान में यह अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर संचालित हो रहा था, वह विकास के मामा का है. अमेरिकी नागरिकों को ठग रहे यह दोनों वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल के द्वारा अमेरिकी नागरिकों को अमेरिकी कंपनी बनकर होम लोन और पर्सनल लोन कम ब्याज दर पर देने का झांसा देते थे. यही नहीं पुलिस की मानें तो कई दर्जन अमेरिकी नागरिक इन लोगों के झांसे में आ भी गए जिनसे उन्होंने लाखों रुपए की ठगी को अंजाम दिया.
इस तरह लोगों को बनाते शिकार
पुलिस की मानें तो यह लोग अमेरिकी एक्सेंट में अंग्रेजी में बात करने में माहिर हैं, इन्हें चेज़र कहा जाता है. यह चेजर लोगों से अमेरिकन लैंग्वेज में बात करते थे और जो इनके झांसे में आ जाता था उसे $200 प्रोसेस फीस के रूप में ले लेते थे. इसके बाद इन्हें अमेरिकन कंपनियों के नाम पर तैयार फॉर्म भेजा जाता था. जब लोग इनके विश्वास में आ जाते तब इन से लोन की चार पांच किश्तें एक साथ जमा करने पर जीरो ब्याज दर का झांसा देकर 500 से $600 एक साथ और जमा करा लेते थे. यह सारी पेमेंट बिटकॉइन के रूप में आती थी और इसे इन्वेस्टमेंट एप के द्वारा खातों में सेव कर लिया जाता था. कई बार पेमेंट शॉपिंग कंपनियों के गिफ्ट कार्ड के रूप में भी खरीद कर ली जाती थी. गिफ्ट कार्ड इन कैश करने के लिए इन कंपनियों में कुछ पैसे देकर लोगों को भी सेट किया गया था. जब अमेरिकन लोगों को अपने साथ हुए फ्रॉड की जानकारी मिलती थी तो वह पलट कर इनको फोन करते थे लेकिन तब उनका नंबर ब्लॉक, अभियुक्तों द्वारा किया जा चुका होता था, अब इन अभियुक्तों को अपने किए पर काफी पछतावा भी है.
ठगी में शामिल ये लोग अमेरिकी लोगों से लोन प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 300 से $500 क्लोजिंग फीस के नाम पर लोन राशि का 2% एडवांस रीपेमेंट के नाम पर 800 से $900 लोन के इंश्योरेंस के नाम पर फीस लेते थे, कई लोग जो सही रिस्पांस ना देने पर कॉल करके लोन कैंसिल करवाते थे उनसे कैंसिलेशन के नाम पर फीस भी ली जाती थी.
बिटकॉइन के जरिये लिया जाता था पैसा
पेमेंट के लिए ठगी गेम क्रिप्टो करेंसी के कई ऐप का इस्तेमाल करके बिटकॉइन के जरिए पैसा लिया जाता था. इसके लिए क्रिप्टो करेंसी के ऐप जिनमें कॉइन स्विच ऐप वजीर एक्स ऐप का इस्तेमाल हो रहा था. कई पेमेंट गिफ्ट कार्ड के रूप में भी लिए जाते थे. कुछ पेमेंट अकाउंट से (वाया ट्रांसफर) से भी लिया जाता था. नोएडा में बैठा एक और व्यक्ति इन सारी एप से आया पैसा इनके खाते में इन कैश करता था. अमेरिकी नागरिकों को कॉल करने के लिए वीओआईपी का प्रयोग होता था, इसके लिए टेक्स्ट नाउ, सोनोटेल का प्रयोग हो रहा था. इसके साथ ही सॉफ्ट फोन डायलर का भी यह प्रयोग करते थे इसके दो ऐप थे. जिसका इस्तेमाल किया करते थे, पहला था एक्सटेन और दूसरा एक्स लाइव ऐप इसके माध्यम से फोन करके बात की जाती थी.
नौबस्ता में चल रहा अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर काकादेव में पिछले दिनों पकड़े गए कॉल सेंटर की जांच के दौरान सामने आया था. जानकारी होते ही क्राइम ब्रांच ने कार्यवाही की पकड़े गए अभियुक्तों के पास से पांच हार्ड डिस्क एक लैपटॉप दो मोबाइल बरामद हुए. लैपटॉप में 200000 विदेशी लोगों का डाटा मिला है, साथ ही कई अमेरिकी लोन देने वाली कंपनियों के फॉर्म फॉर्मेट भी से मिले हैं.
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