लखनऊ, संतोष कुमार। यूपी और एमपी के जंगलों में आतंक का पर्याय बने बबली कोल के मारे जाने पर मध्य प्रदेश पुलिस भले ही वाहवाही लूट कर जश्न मना रही हो लेकिन इन दोनों ही इनामी डकैतों के मारे जाने का असली जाल यूपी एसटीएफ और चित्रकूट रेंज के एक आईपीएस अफसर ने बुना था। मध्य प्रदेश पुलिस जिन डकैतों को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा कर रही है, वह दरअसल मुठभेड़ नहीं गैंगवार की वजह से मारे गए। और यह गैंगवार आज नहीं शनिवार को वीरपुर के जंगलों में हुआ था। बस मध्य प्रदेश पुलिस ने सोमवार को दोनों डकैतों की लाश बरामद कर ली तो जश्न मनाया जाने लगा। दोनों ही डकैतों के मारे जाने की ये है इनसाइड स्टोरी।


ददुआ, निर्भय गुर्जर, ठोकिया जैसे डकैतों के बाद बुंदेलखंड और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में बीते डेढ़ दशक से आतंक का पर्याय और दस्यु गिरोह सरगना बबली कोल का भी सफाया हो गया। 6 लाख के इनामी बबली कोल के साथ उसका राइट हैंड इनामी डकैत लवलेश कोल भी सतना के वीरपुर के जंगलों में मारा गया।


लेकिन आपको पढ़कर हैरानी होगी कि दोनों ही डकैतों की मौत पुलिस की गोली से नहीं बल्कि आपसी गैंगवार और साथी की गोलियों से हुई है।


दरअसल बबली कोल ने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्यप्रदेश के सतना के गांवो में भी अपनी पैठ मजबूत कर ली थी। ऐसे ही एक गांव हरसैड के किसान अवधेश द्विवेदी का बबली कोल ने 15 दिन पहले अपहरण कर लिया था। हरसैढ वही गांव था जहां बबली कोल को पनाह मिलती थी लेकिन बबली कोल ने लालच में आकर उसी गांव के अवधेश द्विवेदी का अपहरण कर लिया और आठ लाख की फिरौती वसूल ली। बताया जा रहा है कि शुक्रवार को फिरौती वसूल कर किसान को छोड़ दिया। लेकिन फिरौती की रकम को लेकर बबली कोल की गैंग में दो फाड़ हो गए। दरअसल बबली कोल के गैंग के सिर्फ 5 सदस्य थे। जिसमें खुद बबली कोल के साथ लवलेश कोल, संजय कोल, दीपक और लाली कोल।


ऐसे और यूं हुआ गंगवार


यह गैंगवार बबली कोल और लवलेश कोल के साथ संजय व लाली कोल के बीच हुई। बताया जा रहा है कि शनिवार शाम को वीरपुर के जंगलों में लाली कोल और बबली कोल के बीच इसी अपहरण और अपरहण की रकम को लेकर विवाद हो गया। दरअसल लाली कोल उसी हरसैढ गांव का रहने वाला है जहां से किसान का अपहरण हुआ था। लाली के अपने ही गांव से अपने ही गैंग के द्वारा अपहरण करने का विरोध भी किया गया लेकिन लालच में फंसे लवलेश कोल की शह पर बबली ने इस अपहरण को अंजाम दिया और फिरौती वसूल ली। अपहरण के बाद रकम के बंटवारे को लेकर दोनों में कहासुनी हुई कहासुनी के बाद गाली गलौज और फिर दोनों ही गुटों में गोलियां चलने लगी। दस्यु गिरोहों पर लगातार नजर रख रही पुलिस टीमों की माने तो इस फायरिंग में 10 से 12 राउंड गोली चली और इसी के बाद लाली कोल अपने गांव हरसैढ की तरफ भागा और उसके दो साथी यूपी के चित्रकूट के जंगलों की तरफ भाग निकले।
लाली ने भागते हुए अपने करीबी रिश्तेदार को गैंग में हुई फायरिंग और बबली की हत्या की सूचना दी। करीबी रिश्तेदार ने इसकी सूचना रामपुर के ग्राम प्रधान के जरिए पुलिस तक पहुंचा दी।
सूत्रों की माने तो लाली कोल को तो मध्य प्रदेश पुलिस ने शनिवार को ही दबोच लिया था लेकिन मारे गए दोनों डकैत बबली और लवलेश की लाश मध्य प्रदेश पुलिस बरामद नहीं कर पाई थी। इन्हीं लाशों को मध्य प्रदेश पुलिस ने सोमवार को बरामद किया और मुठभेड़ की कहानी बता कर वाहवाही लूट ली।


मध्य प्रदेश पुलिस की इस कहानी में 2 सवाल ऐसे हैं जो इस इनसाइड स्टोरी की तस्दीक करते हैं। बबली और लवलेश कोल दोनों के पास 30 स्प्रिंगफील्ड ऑटोमेटिक राइफल थी जो मध्य प्रदेश पुलिस बरामद नहीं कर पाई। मारे गए खूंखार डकैतों के पास से पुलिस को मामूली बंदूकें बरामद हुई।


वहीं दूसरी ओर बरामद दोनों लाशों की हालत और आ रही बदबू तस्दीक कर रही थी कि दोनों की मौत एक-दो घंटे नहीं बल्कि 48 घंटे पहले हुई थी। यही वजह थी कि मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मुठभेड़ से जुड़ी कोई फोटो जारी नहीं की।