पीलीभीत, एबीपी गंगा। पीलीभीत में पुलिस ने बाघिन के कातिलों पर एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस की कार्रवाई के बाद गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव में डीएम व एपी ने खुद डेरा डाल रखा है। वहीं, बाघिन के हमले से घायल युवक की 3 दिन के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई है। बाघिन की हत्या के मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने 36 लोगों को नामजद करके 12 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।


लापरवाही की वजह से हुई बाघिन की मौत


गौरतलब है कि, 3 दिन पूर्व 24 जुलाई को पीलीभीत टाइगर रिजर्व की दूरियां रेंज से निकलकर खेतों में काम कर रहे किसानों पर हमला करने वाली बाघिन की मौत वन विभाग की लापरवाही से हुई है। अगर बाघिन को समय से उपचार मिल जाता तो उसे बचाया जा सकता था, लेकिन घटना के 7 घंटे बाद तक वन कर्मी मौके पर नहीं पहुंचे और न ही मध्य रात्रि तक उसे ट्रेंकुलाइज कर सके, शायद यही वजह रही जिसकी वजह से बाघिन की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक वन कर्मी और एक्सपर्ट देर रात मौके पर पहुंचे थे लेकिन वे उसे ट्रेंकुलाइज करने का साहस नहीं जुटा सके।



आत्मरक्षा में लोग कदम उठाएंगे


पूरे मामले को लेकर गांव वालों का कहना है की जब बाघिन जंगल से निकलकर खेतों में काम कर रहे ग्रामीणों पर हमला करेगी तो आत्मरक्षा में लोग कदम उठाएंगे ही। गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने मजबूरी में बाघिन को मारा है। बाघिन ने हमला कर 9 लोगों को घायल कर दिया था इसमें राधेश्याम की मौत लखनऊ में इलाज के दौरान हो गई। इतना ही नहीं आसपास के कई गांव के लोग बाघिन के आतंक से परेशान थे और वो खेतों में काम तक नहीं कर पा रहे थे।



कई लोगों पर किया था हमला


पूरनपुर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम मटैना कॉलोनी में 2 दिन पूर्व सबसे पहले बाघिन ने राधेश्याम पर ही हमला किया था। बाघिन उसे खींचकर जंगल तक ले जाने लगी थी। राधेश्याम को बचाने के चक्कर में कई ग्रामीण भी घायल हो गए थे। बाद में आक्रोशित ग्रामीणों ने बाघिन की पिटाई की थी। जिसके बाद बाघिन की मौत हो गई थी।