Chandpur Assembly: बिजनौर की चांदपुर विधानसभा सीट का सियासी समीकरण, बीजेपी और सपा-बसपा के लिए क्या कहते हैं आंकड़ें
Chandpur Assembly Seat Election : बिजनौर की चांदपुर विधानसभा सीट गुड़ के कारोबार का गढ़ थी. इस विधानसभा की सीमा अमरोहा और मेरठ जिले तक फैली है.
Chandpur Assembly Seat in Bijnor: बिजनौर जिले की 8 विधानसभा सीटों में से एक है चांदपुर विधानसभा सीट. इस क्षेत्र को चांदपुर स्याऊ के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर कभी स्याऊ नाम की रियासत थी जिसके राजा गुलाब सिंह थे. यह इलाका कभी गुड़ के कारोबार का गढ़ माना जाता था. इस इलाके में बड़ी तादाद में कोल्हू और क्रेशर हुआ करते थे. आज भी यहां भूरा (बारिक चीनी), और बताशे की काफी दुकानें हैं. 1956 के परिसीमन में इसे विधानसभा सीट बनाया गया और 1957 में यहां पहली बार चुनाव हुआ था. राजनीति के हिसाब से चांदपुर बहुत बड़ी विधानसभा है, अमरोहा और मेरठ जिले की सीमा तक फैली है.
बदहाल सड़कें, बेरोजगारी बड़ा मुद्दा
चांदपुर विधानसभा सीट पर चुनावी मुद्दों की अगर बात करें तो चांदपुर के कई हिस्सों में खासतौर से बरसात के वक्त सड़कों पर जलभराव की स्थिति पैदा होती है. चांदपुर में ज्यादातर सड़कें बदहाल हैं. चांदपुर में गुड का कारोबार बड़े पैमाने पर होता था, साथ ही क्रेशर की तादाद भी बहुत ज्यादा थी, लेकिन आहिस्ता आहिस्ता इनका अस्तित्व खत्म होता जा रहा है. चांदपुर में अस्पताल व एजुकेशन के लिहाज से अधिक पिछड़ा है, साथ ही कारोबार के लिहाज से यहां की जनता महंगाई व बेरोजगारी की मार झेल रही है. साथ ही इस बार कृषि बिल आंदोलन को लेकर कहीं ना कहीं बीजेपी पार्टी को चांदपुर विधानसभा सीट से नुकसान होने का अंदेशा है.
चांदपुर की सियासत
विधानसभा सीट चांदपुर की अगर बात करें तो कई नेता इस सीट पर अच्छी पकड़ रखते हैं. विधानसभा सीट के प्रबल दावेदारों में अहम भूमिका निभाने के लिए साल 2022 के लिए चुनावी तैयारी में जुटे हैं. चांदपुर विधानसभा सीट से दो बार बसपा से विधायक बने इकबाल अहमद वैसे तो मुस्लिम वोटरों में अच्छी पकड़ रखते हैं. इकबाल अहमद को बसपा प्रमुख मायावती ने साल 2007 में बीएसपी से टिकट दिया था जिसमें इकबाल ने भारी मतों से जीत हासिल की थी. बीएसपी ने 2012 में दुबारा फिर इकबाल को टिकट देकर फिर आजमाया जिसमें इकबाल ने फिर दोबारा जीत दर्ज की और सपा के शेरबाज खान को हराया. साल 2017 में बीएसपी से इकबाल अहमद को कमलेश सैनी ने हराकर जीत दर्ज की. साल 2022 में इकबाल अहमद निर्दलीय के तौर पर किस्मत आजमा सकते हैं. इकबाल के चुनाव मैदान में उतरने से मुस्लिम वोट बिखरने के आसार हैं, जिसकी वजह से बीजेपी उम्मीदवार को फायदा होने की उम्मीद है. दूसरा चेहरा सियासत के तौर पर शेरबाज़ खान का सामने आता है, जिन्होंने साल 2012 विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें शेरबाज़ दूसरे नंबर पर रहे थे. इक़बाल अहमद ने बीएसपी से जीत हासिल की थी. साल 2017 में शेरबाज़ खान ने समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर हार का मुंह देखना पड़ा, जो चौथे पायदान पर पहुंचे थे. साल 2022 के चुनाव में शेरबाज़ कांग्रेस पार्टी से प्रबल दावेदार के तौर पर तैयारी में जुटे हैं. शेरबाज के खड़े होने से कहीं ना कहीं बीजेपी उम्मीदवार को फायदा होने की उम्मीद रहेगी.
कारोबारी अरशद अहमद का प्रभाव
तीसरा चेहरा स्वामी ओमवेश हैं, उन्होंने साल 2002 से आरएलडी से चांदपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें स्वामी ओमवेश ने भारी मतों से जीत हासिल कर बीएसपी के राम अवतार को हराया था. फिलहाल स्वामी ओमवेश समाजवादी पार्टी में हैं, स्वामी ओमवेश चांदपुर विधानसभा सीट से टिकट के चक्कर में लखनऊ के चक्कर काट रहे हैं. चांदपुर का चौथा चेहरा अरशद अहमद है, जो काफी बड़े बिजनेसमैन भी हैं, जिनका विदेशों में अपना कारोबार भी फैला है. साल 2017 में अरशद ने समाजवादी पार्टी के टिकट से पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था, जिन्हें हार का मुंह देखना पड़ा तीसरे पायदान के आने के बाद अरशद ने भले ही अपने कारोबार पर ध्यान दिया हो लेकिन चांदपुर की जनता कहीं हद तक अरशद के इशारों पर नाचती है.
साल 2002 के विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो स्वामी ओमवेश आरएलडी नेता ने जीत दर्ज हासिल की थी. बसपा के राम अवतार सिंह को हराया था 2002 के नतीजे.
1-स्वामी ओमवेश- रालोद -60595 जीते
2-राम अवतार सिंह-बसपा- 49928 हारे
3-इकबाल अहमद -निर्दलीय- 35228 हारे
2012 के नतीजे
1-इकबाल अहमद-बसपा- 59441 जीते
2-शेरबाज़ खान- सपा -39928 हारे
3-कविता सिंह-भाजपा- 36941 2017 के नतीजे ----
1-कमलेश सैनी-- भाजपा --92345 जीती
2-इकबाल अहमद-बसपा -56969 हारे
3-अरशद अहमद -सपा -36531 चांदपुर विधानसभा सीट के आंकड़ों की अगर बात करें तो यहां पर कुल 5 लाख की आबादी है, ढाई लाख के करीब sc-st व डेढ़ लाख मुस्लिम जाट व यादव 50,000 सिख -10 हज़ार,वैश्य- 5000 अन्य-35 हज़ार
राजनीतिक पृष्ठभूमि की अगर बात करें तो चांदपुर विधानसभा सीट पर धर्म फेक्टर यहां के चुनाव में ज्यादा मायने नहीं रखता, जनता जनार्दन उम्मीदवार के काम को देख कर ही हर 5 सालों में वोट करती है. इस बार भी साल 2022 के चुनाव में काम को देख कर ही जनता उम्मीदवार को वोट करेगी.
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