लखनऊ: यूपी पंचायत चुनाव को 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सियासत का सेमीफाइनल माना जा रहा है. यही वजह है कि सियासी दल इस सेमीफाइनल को जीतने में एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं. फिर चाहे वो सत्ताधारी बीजेपी हो, या फिर मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी हो. वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में अपना दमखम आजमाने उतरी आम आदमी पार्टी ने तो सबसे तेजी दिखाते हुए अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी कर दी. पश्चिम में किसान आंदोलन के जरिए पार्टी में जान फूंकने की कोशिश कर रही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इन चुनाव के जरिए गांव स्तर पर अपनी पार्टी की पैठ को समझने में जुटी हैं. तो बसपा प्रमुख मायावती भी लगातार लखनऊ में बैठकें करके पंचायत चुनाव में पार्टी की रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटी हैं.
उत्तर प्रदेश में इन दिनों गांव की सरकार चुनने का जितना लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, तो वहीं सभी इंतजार है कि कब पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान होगा. हालांकि हाइकोर्ट के निर्देश के अनुपालन में प्रदेश में 30 अप्रैल तक इस त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चारों पदों के लिए इलेक्शन हो ही जाना है. सबसे ज्यादा पेंच आरक्षण सूची को लेकर फंसा था. फिर जिलों ने पहले अंतिम सूची जारी की और अब 17 मार्च को आरक्षण की फाइनल लिस्ट जारी कर दी जाएगी. जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा. इस चुनाव पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं, सियासी दलों ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. सियासी दलों की बात करें उससे पहले आपको ये बताते हैं कि आखिर ये पंचायत चुनाव इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में कुल 58194 ग्राम पंचायते हैं, यानि इतने ग्राम प्रधान चुने जाएंगे. इसके अलावा 7 लाख से ज्यादा ग्राम पंचायत के सदस्य चुने जाएंगे. जबकि 3051 सदस्य क्षेत्र पंचायत चुने जाएंगे. 826 ब्लाक प्रमुख चुने जाएंगे, जबकि 75 जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे और 75855 जिला पंचायत के सदस्य चुने जाएंगे. इनमें से ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है और ये भी 15 मई तक करा लिए जाएंगे. इन चुनाव में कुल 12 करोड़ 43 लाख से ज्यादा वोटर वोट डालेंगे जबकि कुल पोलिंग बूथ की संख्या इस बार 2 लाख दो हजार है. अब आप समझ गये होंगे कि आखिर ये चुनाव इतना महत्वपूर्ण क्यों है.
लखनऊ में बीजेपी दफ्तर में एक वॉर रूम बनाया गया
यही वजह है कि सियासी दल इस पंचायत के चुनाव में जोर शोर से जुटे हैं और इस तैयारी में कोई सबसे आगे नजर आ रहा है तो वो है सत्ताधारी बीजेपी. पहली बार बीजेपी पंचायत चुनाव को इतनी तैयारी के साथ लड़ रही है. बकायदा लखनऊ में पार्टी दफ्तर में एक वॉर रूम बनाया गया है. अब तक पार्टी 3051 वार्डों में जिलावार बैठकें कर चुकी है तो वहीं कल यानी 11 मार्च से पार्टी ने ग्राम चौपाल अभियान की शुरूआत की है. जिसका शुभारंभ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने लखनऊ के गंगागंज में किया. इस ग्राम चौपाल में बीजेपी सरकार के मंत्री भी गावों में चौपाल लगाएंगे. विधायक, सांसद भी गांव-गांव जाएंगे. इतना ही नहीं जब 15 मार्च को लखनऊ में पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी तो उसमें भी पंचायत चुनाव प्रमुख एजेंडा रहेगा.
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बूथ स्तर तक पार्टी की क्या तैयारी है, ये परखने का पंचायत चुनाव सभी सियासी दलों के लिए एक अच्छा अवसर है. यही वजह है कि सियासी दल अपनी अपनी तैयारी में जुटे हैं. समाजवादी पार्टी की बात करें तो पार्टी लगातार कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम कर रही है, जिसमें पंचायत चुनाव में पार्टी की क्या रणनीति रहने वाली हैं इस पर भी चर्चा हो रही है. खुद अखिलेश यादव इन शिविरों में जाकर कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दे रहे हैं. हालांकि पार्टी की कोशिश है कि बिना मीडिया में चर्चा के अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाए. वहीं 2022 में यूपी में सियासी जमीन खोजने में जुटी आम आदमी पार्टी ने तो पंचायत चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा तेजी दिखाई है. आज पार्टी के यूपी प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने 400 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी की. संजय सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव के जरिए दिल्ली मॉडल को यूपी में लागू करेंगे और जिला पंचायत में जीते लोग अगर अच्छा काम करेंगे तो उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रत्याशी भी बनाया जाएगा.
पंचायत चुनाव को लेकर मायावती भी संजीदा
इस बार होने जा रहे पंचायत चुनाव को लेकर बीएसपी प्रमुख मायावती भी काफी संजीदा हैं. दिल्ली से लखनऊ आकर उन्होंने लगातार मंडल स्तर पर बैठकें की. सेक्टर प्रभारियों को जिला पंचायत सदस्य पद के उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही जिलावार प्रत्याशियों की सूची भी जिलाध्यक्ष स्तर से ही जारी की जाएगी इसके लिए भी मायावती ने पार्टी के प्रभारियों को निर्देशित किया है. जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव इस बार कांग्रेस के लिए काफी अहम है, ये अहम इस मायने में है कि लगभग 32 सालों से कांग्रेस यूपी की सत्ता से बाहर है. प्रदेश में संगठन काफी कमजोर स्थिति में पहुंच गया था लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा ने गांव स्तर तक कमेटियां गठन करने के लिए कहा था और जिसका असर ये हुआ कि कांग्रेस ने पहली बार न्याय पंचायत स्तर तक अपनी कमेटी बनाई और पूरे प्रदेश में इसके लिए संगठन सृजन अभियान कांग्रेस ने चलाया. वहीं किसान आंदोलन के सहारे खासतौर से कांग्रेस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी मजबूत दावेदारी पेश करने में जुटी है. वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा 13 और 14 मार्च को गोरखपुर जाएंगी जहां वो ब्लॉक अध्यक्षों के ट्रेनिंग शिविर में शामिल होंगीं. जहां चर्चा पंचायत चुनाव को लेकर होगी.
इस बार पंचायत चुनाव में जहां एक तरफ बड़ी पार्टियां अपना दमखम दिखाने की तैयारी में जुटी हैं तो वहीं दूसरी तरफ संख्या बल के लिहाज से छोटे सियासी दल भी जोर आजमाइश में जुटे हैं, फिर चाहे वो प्रसपा हो, अपना दल हो, या फिर सुभासपा हो या ओवैसी की एआईएमएईएम. जाहिर है विधानसभा चुनाव से पहले ही उत्तर प्रदेश में सियासत का संग्राम काफी दिलचस्प होने वाला है.