आगरा, एबीपी गंगा। कहते है राजनीति में कोई अपना या कोई पराया नहीं होता। वक्त और हालात किसी को अपना तो किसी को पराया बना देते हैं। कम से कम हाल ही में हो रहे लोकसभा चुनाव के लिए तो ये बातें सटीक साबित होती है। दरअसल, ब्रज क्षेत्र की लोकसभा सीटों पर ऐसे-ऐसे प्रत्याशी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं, जो कभी एक दूसरे को जिताने के लिए मेहनत किया करते थे। आज हम ऐसी ही कुछ सीटों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जहां नेताओं ने अपने राजनीतिक करियर के लिए अपनों से ही बगावत की। इस लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है वीआईपी सीट फतेहपुर सीकरी का।


- फतेहपुर सीकरी
कांग्रेस की ओर से कद्दावर नेता राज बब्बर को यहां से मैदान में उतारने के बाद फतेहपुर सीकरी हॉट सीट बन गई है। वहीं भाजपा ने राजकुमार चाहर पर दांव खेला है। दिलचस्प बात है कि साल 2009 के चुनाव में भाजपा द्वारा महेंद्र अरिदमन सिंह को टिकट देने के बाद चाहर ने तब कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर का साथ दिया था और उनके लिए प्रचार किया था।। हालांकि इस बार दोनों एक दूसरे के खिलाफ जनता से वोट मांगते दिखेंगे। बतादें कि 2009 में बसपा की सीमा उपाध्याय ने यहां से जीत दर्ज की थी। जबकि 2014 में यहां भाजपा के बाबूलाल सांसद बने। इस बार उनका टिकट काटकर राजकुमार चाहर को दिया गया है।


- फिरोजाबाद
इस सीट पर सपा का खासा प्रभाव माना जाता है। फिरोजाबाद में यादव कुनबे के शिवपाल सिंह प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) से चुनाव लड़ रहे हैं। शिवपाल मौजूदा सांसद और अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ ही यहां प्रचार करते दिखेंगे। हालांकि पिछले चुनाव में दोनों नेता साथ में सपा के लिए वोट मांगते आए थे, लेकिन इस बार बगावती चाचा ने भतीजे के खिलाफ ताल ठोककर इस सीट को लाइमलाइट में ला दिया है।


- मथुरा
कभी कांग्रेस के लिए प्रचार करने वाले कुंवर नरेंद्र सिंह हाथ का साथ छोड़ राष्ट्रीय लोक दल का झंडा थाम चुके हैं। रालोद ने उन्हें मथुरा से अपना प्रत्याशी भी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने महेश पाठक को अपना उम्मीदवार बनाया है। कुंवर नरेंद्र कांग्रेस की ही टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। कुंवर नरेंद्र और महेश पाठक पहले कांग्रेस की जीत के लिए साथ-साथ वोट मांगते थे।


- एटा
कांग्रेस और जन अधिकार पार्टी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार सूरज सिंह शाक्य इस बार चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला मौजूदा सांसद भाजपा नेता राजवीर सिंह से है। हालांकि ये बात और है कि सूरज सिंह शाक्य पूर्व में भाजपा नेता हुआ करते थे और यहां पार्टी को मजबूत करने का काम किया करते थे।