UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक है. ऐसे में सियासी दल जोर आजमाइश में लगे हुए हैं. यूपी की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी जनता के बीच विकास मॉडल के साथ जाने की फिराक में है. लेकिन कानपुर शहर में पुलों पर सियासत हो रही है. कानपुर में तीन पुल शुरू होने के इंतजार में हैं. झकरकटी का समानांतर पुल बनकर तैयार है लेकिन चालू नहीं हो पाया है. वहीं, सूबे के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना ने अब इन पुलों को चालू कराने का ना सिर्फ बीड़ा उठाया है बल्कि डेडलाइन भी तय कर दी है.


कानपुर शहर में विकास की बड़ी तस्वीर माने जाने वाले एक दो नहीं बल्कि तीन पुल चालू होने के इंतजार में हैं. झकरकटी समानांतर पुल 102 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है. इसकी डेडलाइन चार बार बढ़ाई जा चुकी है. केंट पुल की लागत 42 करोड़ रुपये है. इसकी डेडलाइन 6 बार बढ़ाई जा चुकी है. आलम यह है कि निर्माण में देरी से इसकी लागत 5 करोड़ रुपये बढ़ गई. 6 साल पहले जब पुल का निर्माण शुरू हुआ था तो इसकी अनुमानित लागत 37 करोड़ रुपये थी. इसके साथ ही तीनों पुलों की डेडलाइन भी कई बार बढ़ाई जा चुकी है. तीसरा करबिगवा पुल 25 करोड़. रुपये की लागत से बनाया जा रहा है, जिसकी डेडलाइन तीन बार बढ़ चुकी है. हैरानी वाली बात है कि झकरकटी समानांतर पुल तैयार होने के बावजूद लोकार्पण की वजह से चालू नहीं हो पा रहा. आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) द्वारा पुल की मजबूती के सर्वे और उसकी फीस को लेकर मामला फंसा हुआ है. 


कैबिनेट मंत्री सतीश महाना ने तय की डेडलाइन


सूबे के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना ने अब इन पुलों को चालू कराने का ना सिर्फ बीड़ा उठाया है बल्कि डेडलाइन भी तय कर दी है. सतीश महाना की माने तो हर हाल में 30 नवंबर तक झकरकटी समानांतर पुल का बचा हुआ काम को पूरा करा लिया जाएगा और उसका लोकार्पण कराया जाएगा. 1 दिसंबर को पुल चालू कर प्रतिदिन गुजरने वाले 10 लाख से ज्यादा लोगों को बड़ी राहत दी जाएगी. इसी के साथ लंबे समय से रुका कैंट पुल भी हर हाल में 15 दिसंबर तक चालू कराने के निर्देश दे दिए गए हैं. 


समाजवादी पार्टी ने ली चुटकी


इस बीच सरकार के मंत्री के द्वारा एक और डेडलाइन दिए जाने पर समाजवादी पार्टी चुटकी ले रही है. समाजवादी पार्टी का कहना है कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का जन्मदिन है और उससे पहले जैसे तैसे विकास के आधे अधूरे कामों को जनता के सामने सरकार पेश करने में जुटी हुई है. इसी कड़ी में एक और डेडलाइन दी गई है. जबकि 5 साल तक सरकार ने इन पुलों पर कोई भी ध्यान नहीं दिया.


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