उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने बुधवार को एक नारा दिया, 'अयोध्या-काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है और मथुरा की तैयारी है.' मौर्य के इस नारे ने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है. कहा जा रहा है कि बीजेपी (BJP) एक बार फिर मंदिर मुद्दे पर लौट रही है.
बीजेपी ने पिछले कुछ दशक से धर्म को ही अपना कर्म बना लिया था. धर्म ही उसकी राजनीति की दशा और दिशा है. धर्म के नारे की बदलौत बीजेपी ने 14 साल बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी की. अब उस सत्ता को बचाने के लिए एक बार फिर वह धर्म के सहारे है.
बीजेपी की धर्म की राजनीति
बीजेपी अब तक अयोध्या और रामलला की बात करती थी. वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाने के बाद बीजेपी अब काशी और मथुरा की बात कर रही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बीजेपी इससे अपनी सत्ता को बचाकर रख पाने में कामयाब हो पाएगी या नहीं.
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद अब बीजेपी को अपनी राजनीति और रणनीति को फिर टटोलना पड़ रहा है. इसी को ध्यान में रखकर केशव प्रसाद मौर्य ने यह नया नारा दिया है. यूपी में पहले नारा लगता था, 'अयोध्या तो झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है.' लेकिन अब इसे केशव प्रसाद मौर्य ने अब बदल दिया है.
हिंदुओं की गोलबंदी
कुछ हिंदूवादी संगठन 6 दिसंबर को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटी मस्जिद में भगवान कृष्ण की मूर्ति रखना चाहते थे. इसे देखते हुए वहां धारा 144 लगा दी गई है. 6 दिसंबर ही वह तारीख है, जब अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था.
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बीजेपी अब मथुरा के बहाने हिंदुओं को गोलबंद करने की कोशिश कर रही है. क्योंकि हिंदुत्व ही वह हथियार है, जो जाति-पात की दीवार को तोड़कर पूरे हिंदू समाज को एक करता है. बीजेपी को लगता है कि अगर हिंदू एक हो गया तो वह अखिलेश यादव को घेरने में कामयाब हो जाएगी. वह इन दिनों जाति-बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने वाले दलों से गठबंधन कर रहे हैं. बीजेपी उनके इस प्रयास को हिंदुत्व के एजेंडे से कमजोर करने की कोशिश कर रही है.
काशी में बैठेगी योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को वाराणसी जाएंगे. वो वहां काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे. उस दिन यूपी की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट की बैठक भी वाराणसी में होगी. बैठक से पहले सभी मंत्री गंगा स्नान कर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करेंगे. कुछ इसी तरह का काम योगी सरकार के मंत्रियों ने प्रयागराज में कुंभ के दौरान भी किया था. इसके बाद ही योगी सरकार ने गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण की घोषणा की थी.
योगी आदित्यनाथ ने कुछ समय पहले भाषणों में कहना शुरू किया था कि राम भक्तों पर गोलियां चलवाने वाली पार्टियां अब हिंदुओं की चिंता कर रही हैं. लेकिन उनके इन भाषणों से लोगों और बीजेपी कार्यकर्ताओं में कोई जोश नजर नहीं आया. इससे भी बीजेपी को अपना नारा बदलना पड़ा. यह केवल संयोग मात्र नहीं है कि जब केशव प्रसाद मौर्य यह नारा दे रहे थे, उस वक्त योगी आदित्यनाथ अयोध्या में हवन कर रहे थे. मौर्य का बयान आने के बाद उनकी बात को आगे बढ़ाने में बीजेपी नेताओं में होड़ लग गई.
बीजेपी के लिए धर्म बहुत सेफ पिच है. बीजेपी ने 2017 के चुनाव में शमशान बनाम कब्रिस्तान को मुद्दा बनाकर प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया था.
यूपी चुनाव के लिए बीजेपी के नारे
बीजेपी 2022 के चुनाव के लिए एक साथ कई मोर्च पर काम कर रही है. इनमें से एक नारा विकास का है, दूसरा जाति-पात और अगड़े-पिछड़ों के सामाजिक समिकरण का नारा है और ये तीसरा नारा धर्म का है. धर्म का नारा ही मोर्चा बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत है. कुल मिलाकर यह उकसाने की बात है. सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की बात है, जिससे विपक्ष का खेल खराब हो जाए. इसी रास्ते पर चलते हुए बीजेपी 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव और 2017 का विधानसभा चुनाव प्रचंड बहुमत से जीत चुकी है. एक बार फिर बीजेपी उसी रास्ते पर है. लेकिन देखने वाली बात यह होगी इस नए नारे से बीजेपी का एजेंडा सेट हो पाता है या नहीं.