Uttarakhand Politics: उत्तराखंड की राजनीति में शुरू हुआ तोड़फोड़ का खेल, बीजेपी-कांग्रेस में जबरदस्त होड़
Uttarakhand Politics: उत्तराखंड की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस में जिताऊ उम्मीदवार को अपने पाले में करने की होड़ सी मच गई है.
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के करीब आते ही राजनीतिक दलों में दल बदल की राजनीति तेज हो गई है. फिलहाल यह सिलसिला कांग्रेस और भाजपा में जारी है, ताकि जिताऊ कैंडिडेट को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कराया जाए और किसी भी तरीके से पार्टी को सरकार बनाने तक पहुंचाया जाए. वहीं, दूसरी ओर उत्तराखंड में पहली बार चुनाव लड़ने जा रही आम आदमी पार्टी इस मामले में फिसड्डी नजर आ रही है.
बीजेपी-कांग्रेस में होड़
उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के लिए मात्र तीन से चार माह का वक्त है, और यह 3 महीने हर राजनीतिक पार्टी के लिए काफी अहम है. क्योंकि इस वक्त में ही पार्टी को जनता के बीच पहुंचकर पैठ बनानी है और अपने लिए जिताऊ कैंडिडेट की तलाश भी करनी है. उत्तराखंड में इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में कांटे की टक्कर होगी. यही वजह है कि, पार्टियां जिताऊ कैंडिडेट की तलाश में जुटी है, दल- बदल कर किसी भी तरह से पार्टी को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. इसमें सबसे आगे भाजपा और कांग्रेस है. भाजपा ने कांग्रेस को पहले झटका देकर विधायक राजकुमार और निर्दलीय दो विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाई, तो कांग्रेस ने भाजपा पर करारा प्रहार करते हुए कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव आर्य को कांग्रेस में शामिल कर दिया. लेकिन आरोप एक दूसरे पर लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस का आरोप है कि, प्रदेश में तोड़फोड़ की राजनीति भाजपा ने शुरू की, जो राज्य में अब तक जारी है, तो वहीं भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस का चरित्र शुरू से ही तोड़फोड़ का रहा है.
AAP भी पीछे नहीं
उत्तराखंड छोटा राज्य होने के नाते राजनीतिक पार्टियों को सियासत का सॉफ्ट टारगेट लगता है, इस बार आम आदमी पार्टी ने भी उत्तराखंड की सियासत में दस्तक देकर भाजपा और कांग्रेस को चौंका दिया है. मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. आम आदमी पार्टी शुरू से ही यह दावा करती रही कि उनके संपर्क में भाजपा और कांग्रेस के कई विधायक हैं, लेकिन आज तक आम आदमी पार्टी में एक भी बड़ा चेहरा शामिल नहीं हो पाया. हालांकि, प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया का कहना है कि जो नेता ट्रिपल सी के फार्मूले पर खरा उतरेगा उसको पार्टी में शामिल कराया जाएगा. उनका कहना है कि दल बदल की राजनीति भाजपा और कांग्रेस को करनी आती है, जो एक दूसरे पार्टी के भ्रष्ट नेताओं को पार्टी में शामिल करके पाक साफ मान लेते लेते हैं.
तोड़फोड़ का खेल
उत्तराखंड में राज्य गठन से लेकर अब तक बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस की सरकार रही है, और दोनों ही पार्टियों ने एक दूसरे को विधायकों को तोड़कर सत्ता तक पहुंचने का रास्ता साफ किया है. 2007 में खंडूरी के लिए कांग्रेस विधायक टीपीएस रावत से सीट खाली कराई गई थी. 2012 में भी यही हुआ जब विजय बहुगुणा के लिए सितारगंज से भाजपा विधायक किरण मंडल से सीट खाली कराई गई. 2016 में उत्तराखंड की राजनीति में सबसे बड़ा दल बदल हुआ था. ऐसे में 2022 के चुनावों में भी कांग्रेस और भाजपा इसी रास्ते पर चलकर सरकार बनाने की जुगत में जुटे गए हैं.
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