केदारनाथ आपदा के जख्मों को हरा कर देती है सियासत, कांग्रेस ने भाजपा को घेरा तो AAP इस बात से नहीं है संतुष्ट
केदारनाथ आपदा के पुराने जख्मों को कुरेद कर सियासी दल आज भी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है तो आम आदमी पार्टी भी केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर संतुष्ट नहीं है.
देहरादून: उत्तराखंड के केदारनाथ में 8 साल पहले आई त्रासदी को लेकर आज भी सियासत जारी है. आपदा के जख्म अभी तक भरे नहीं हैं लेकिन राजनीतिक दल सियासत से बाज नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है तो आम आदमी पार्टी भी केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर संतुष्ट नहीं है.
भयानक था मंजर
16 जून 2013 को केदारनाथ में आई तबाही की भयानक यादें आज भी लोगों डराती हैं. 8 सालों में भी पुनर्निर्माण के मरहम से आपदा के जख्म पूरे नहीं भर पाए हैं. लोग आज भी उस भयानक मंजर को याद कर कांप उठते हैं. हालांकि, केदार घाटी काफी हद तक संवर चुकी है और इसे लेकर काम भी लगातार जारी है. लेकिन, इन 8 सालों में नहीं बदला तो वो है सियासत का मिजाज.
जारी है सियासत
केदारनाथ आपदा के पुराने जख्मों को कुरेद कर सियासी दल आज भी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. अब कांग्रेस ने भाजपा पर सीधा आरोप लगाया है कि आपदा के दौरान 2013 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने साढ़े 7 हजार करोड़ की फंडिंग की थी, लेकिन उसके बाद केंद्र की मोदी सरकार आने के बाद उस फंडिंग का पूरा पैसा आज तक नहीं मिल पाया. वहीं, राज्य में कांग्रेस सरकार के दौरान जो काम केदारनाथ में हुए आज भी उसी स्थिति में रुके हैं. भाजपा की सरकार आने के बाद काम को गति नहीं मिल पाई.
काम को बेहतर तरीके से करने की जरूरत है
वहीं, केदारनाथ आपदा के बाद पुनर्निर्माण का सबसे महत्वपूर्ण काम नेहरू पर्वतारोही संस्थान ने किया. जिसके प्रचार्य उस वक्त कर्नल अजय कोठियाल थे. उन्हीं के नेतृत्व में काम को बेहतर तरीके से किया गया. केदारनाथ में सड़क निर्माण का काम हो या फिर केदार घाटी को दोबारा संवारने का काम, ये सब नेहरू पर्वतारोही संस्थान की तरफ से ही किए गए. लेकिन, इन दिनों कर्नल अजय कोठियाल आम आदमी पार्टी के सिपाही है, तो उन्हें काम बेहतर नहीं लग रहे हैं. हालांकि, वो ये बात मान रहे हैं कि काम को इंप्रूव करने की जरूरत है लेकिन कई काम ऐसे हैं जिससे वो संतुष्ट नहीं हैं.
जख्मों को हरा कर देती है सियासत
केदारनाथ आपदा को 8 साल बीत गए हैं. इन 8 सालों में केदार घाटी भी धीरे-धीरे संवर रही है. लोग भी आपदा के जख्मों को भूलना चाह रहे हैं, लेकिन सियासत तो सियासत है. सियासत हर साल आपदा के जख्मों को हरा कर जाती है.
केदारनाथ त्रासदी के जख्म
लगभग 5000 से अधिक एफआईआर हुईं
तकरीबन 4000 से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया था
2000 से जयादा भवन पूरी तरह तबाह हुए
लगभग 1300 हेक्टेयर कृषि भूमि तबाह
केदारनाथ और आसपास से 90 हजार लोगों को रेस्क्यू किया गया
9 एनएच और 35 स्टेट हाईवे टूटे
लगभग 30 हजार लोगों को उत्तराखडं पुलिस ने बचाया
लगभग 11,000 से अधिक मवेशी बह गए
86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल तबाह
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