Banaras Ghat News: देश-विदेश के पर्यटक बनारस में गंगा नदी में नाव से सैर करना काफी पसंद करते हैं. इसी बीच घाटों को लेकर एक चिंताजनक खबर सामने आ रही है. बीते दिनों हुए CSR के अध्ययन में पता चला है कि बनारस की गंगा नदी में चलने वाली डीजल की नावों के कारण न केवल गंगा नदी में प्रदूषण बढ़ा है बल्कि बनारस घाटों के आसपास के AQI आंकड़ों में भी बढ़ोतरी देखी गई है. जिससे घाट काले हो गए हैं. बनारस गंगा घाट और आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए वाराणसी प्रशासन द्वारा तैयारी की जा रही है. 


डीजल से चलने वाले नाव को फ्री में बदला जाएगा 


वाराणसी मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने एबीपी लाइव से बातचीत में बताया कि गंगा नदी और आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण को लेकर सर्वे हुआ है जिसमें निश्चित तौर पर डीजल वाले नाव के कारण गंगा नदी प्रदूषण होने के साथ-साथ प्रमुख घाटों के एयर क्वालिटी इंडेक्स में भी बढ़ोतरी देखी गई है. हालांकि इससे पहले भी नाविक समाज से अपील करते हुए डीजल वाले इंजन को बदलवाते हुए सीएनजी, सोलर एनर्जी और EV से चलने वाले नाव चलाने की अपील की गई थी. 


उन्होंने कहा कि अब तक बहुत अच्छा रिस्पांस भी मिला है, जिसमें बनारस घाट पर 750 नाव सीएनजी इंजन में कन्वर्ट हो चुकी हैं. लेकिन अभी भी तकरीबन 100 ऐसी नाव हैं जो डीजल से चलती हैं और इनकी वजह से सबसे ज्यादा प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसलिए आवश्यक है कि बचे हुए डीजल इंजन से चलने वाली नाव को भी सीएनजी सोलर एनर्जी और EV में बदलवा लिया जाए. 


मुफ्त में होगा इंजन का बदलाव 


वाराणसी मंडलायुक्त ने ये भी कहा कि 31 दिसंबर तक बचे हुए डीजल इंजन वाली नाव का बदलाव भी मुफ्त में ही होगा, लेकिन 31 दिसंबर के बाद बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार रहने वाले किसी भी डीजल वाले नाव को गंगा नदी में नहीं चलने दिया जाएगा. 31 दिसंबर के बाद से इंजन कन्वर्जन में भी कोई छूट नहीं मिल सकेगी. इसलिए आवश्यक है कि एनजीटी गाइडलाइन के मुताबिक सभी नाविक समाज द्वारा इस दिशा निर्देश का गंभीरता से पालन किया जाए. 


प्रमुख घाटों पर बढ़ गए प्रदूषण 


वाराणसी में बीते कुछ सालों से दशास्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, तुलसी घाट, अस्सी घाट, नमो घाट सहित कुछ प्रमुख घाटों पर बढ़ते प्रदूषण का असर देखा जा रहा है. सर्वे में हुए अध्ययन के बाद इसकी सबसे प्रमुख वजह गंगा नदी में डीजल से चलने वालि नाव बताए जा रहें हैं. हालांकि अब देखना होगा कि वाराणसी प्रशासन के दिशा निर्देश के बाद शेष बचे हुए डीजल वाले नाव को कब तक सीएनजी, सोलर एनर्जी और ईवी में कन्वर्ट कराया जाता है. 


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