शामली, एबीपी गंगा। कोरोना जैसी भयंकर महामारी तेजी से फैल रही है। लॉक डाउन के दौरान हर किसी के सामने एक बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया है। वहीं फूल की खेती करने वाले किसान भी इससे अछूते नहीं हैं और उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। लॉक डाउन होने के कारण फूल की बिक्री नहीं हो पा रही है, जहां पहले फूल की खेती करने वाले किसान फूल खिलते ही खुश हो जाते थे, वहीं फूल खिलने पर किसानों के चेहरे मुरझाते हुए दिखाई दे रहे हैं।


आपको बता दें कि फूलों की खेती करने वाले किसान अपना माल किसे बेंचे...कहां जाये। उनके सामने बड़ा संकट है कि वे इन फूलों का क्या करें। वह पहले जब फूल खिलता था तो फूल की तरह किसान भी खिल जाते थे लेकिन लॉक डाउन के बाद अब वही किसान जितना जितना फूल खिलता है, उतना ही उनका चेहरा मुरझा रहा है। लॉक डाउन होने के कारण उनका फूल मंडियों तक नहीं जा पा रहा है और फूल खेत पर ही सड़ रहा है, बाजार में फोन न जा पाने के कारण फूल की खेती वाले किसान अब अपने फूल की फसल को उजाड़ रहे हैं। जहां पहले फूल की खेती वाले करने वाले किसान फूल से लाखों रुपए कमाते थे अब वही किसान पाई पाई को मोहताज नजर आ रहे हैं। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि उनके सामने रोजी-रोटी का भारी संकट खड़ा हो गया है।


जनपद शामली के कैराना कोतवाली क्षेत्र के गांव मन्ना माजरा में फूल की खेती करने वाले किसान ओमबीर ने बताया कि वह जनपद बागपत के छपरौली थाना क्षेत्र के गांव हलालपुर के रहने वाले हैं और उन्होंने यहां पर 20 बीघा जमीन ठेके पर ली थी, जिसके बाद उन्होंने 20 बीघा जमीन पर फूल की खेती की थी, फूल की फसल को लगाने और मजदूरी देने में उनका सारा पैसा खर्च हो चुका है। उनकी फसल पूरी तरीके से तैयार हो चुकी थी और मार्च माह में पड़ने वाले नवरात्रों के लिए उन्होंने अपने फूल की फसल को रोका हुआ था क्योंकि नवरात्र के दिनों में फूल की डिमांड बढ़ जाती है और उन्हें अनुमान था कि जो फूल नवरात्रों से पहले उनका 55 रुपये प्रति किलो जा रहा था, वह नवरात्रों के दौरान 80 रुपये प्रति किलो जाएगा। इस वजह से उन्होंने अपनी फसल को रोका हुआ था लेकिन नवरात्रों से पहले ही लॉक डाउन की घोषणा हो गई, जिससे उनका करीब 10 टन माल जो कि तैयार था बिक नहीं पाया और उन्हें करीब 6 से 7 लाख का नुकसान हुआ। किसान ने बताया कि फूल की खेती ही करीब 10 से 15 मई तक चलने वाली थी लेकिन मंडी में फूल नहीं जा पाने के कारण अब उनकी फूल की फसल खेत पर ही सड़ रही है। वह 20 बीघा फूल की फसल में से करीब 10 बीघा फसल उजाड़ चुके हैं और बाकी वह उजाड़ रहे हैं।


किसान ओमबीर ने बताया कि उनका 12 सदस्यों का परिवार है जो कि फूल की खेती पर ही निर्भर है और सभी लोग फूल की खेती के लिए काम करते हैं। उसी से जो कमाई होती है, वह अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं लेकिन अब फूलों की मांग खत्म होने के चलते उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है और उन्हें अब खाने तक के लाले पड़ गए हैं।