वाराणसी, एबीपी गंगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में 'चायवाला' और 2019 में 'चौकीदार'। ये वो दो शब्द हैं जिन्होंने चुनाव कि दिशा बदल दी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 'चौकीदार' शब्द अपने आप में चुनावी नारा बन चुका है। चुनावी समर में बीजेपी को घेरने के लिए कांग्रेस ने 'चौकादार चोर है' का नारा दिया तो बीजेपी ने कांग्रेस के इसी नारे को लपक लिया और अपना सबसे धारदार हथियार बना लिया है। बीजेपी के सभी नेता खुद को चौकीदार के रूप में संबोधित कर रहे हैं तो वहीं अब जनता में भी इसका असर नजर आ रहा है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र का गांव ककरहिया इन दिनों चर्चा के केंद्र में आ गया है।


यह चौकीदारों का गांव है


दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए गांव ककरहिया में लगा एक पोस्टर चर्चा का विषय बन गया है। ग्रामीणों ने गांव में जगह-जगह 'यह चौकीदारों का गांव है, यहां चोरों का आना वर्जित' लिखा पोस्टर चस्पा किया है। गांव में रहने वाले बीजेपी से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना था प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अक्टूबर 2017 को ककहरिया गांव को गोद लिया था। उनकी वजह से आज इस गांव की तस्वीर बदल गई है। गांव में विकास के कई कार्य हुए हैं और केंद्र सरकार के कई मंत्रियों का यहां आना-जाना लगा रहा।


विकास पर दिया गया ध्यान


ग्रामीणों का कहना है कि पहले जो भी सांसद व विधायक जीत कर आता था वह गांव के विकास पर ध्यान नहीं देता था। लेकिन, मोदी ने गांव का कायाकल्प कर दिया। गांव में बिजली व पानी की व्यवस्था ठीक हुई है। लोगों को भरपूर बिजली व पानी मिलने लगा। प्रधानमंत्री को चोर कहकर संबोधित करने वालों ने पूरे देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। ऐसे लोगों का हमारे गांव में कदम नहीं पड़े इसलिए ऐसे पोस्टर लगाए हैं। गांवों के लोगों द्वारा किए जा रहे इस तरह के विरोध प्रदर्शन को लेकर तरह-तरह की चर्चा भी हो रही है।