Power Crisis in Uttar Pradesh: प्रदेश में बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने में अधिकारियों के पसीने छूटते नज़र आ रहे हैं. कोयले की कमी की वजह से लगातार कई जगह बिजली कटौती हो रही है. फिलहाल ये कटौती ग्रामीण इलाकों में है. लेकिन अगर जल्द ही कोयले की आपूर्ति नहीं सुधरी तो असर शहरी क्षेत्रों तक आने में समय नहीं लगेगा. वहीं, बिजली व्यवस्था को लेकर सीएम योगी ने अधिकारियों साथ सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की.


कोयले की कमी से बढ़ा संकट


हम आपको सरल भाषा में समझाते हैं कि आखिर मामला क्या है? असल में प्रदेश में रोजाना बिजली की प्रतिबंधित मांग करीब 17 हज़ार मेगावाट है. बिजली बनाने के लिए उत्पादन इकाइयों में कोयले की जरूरत होती है, लेकिन अब इस कोयले की ही कमी हो रही है. इसका असर ये है कि बिजली का उत्पादन कम हो रहा है. ऐसे में जहां 17 हज़ार मेगावाट के आसपास बिजली की जरूरत है, वहीं 15 हज़ार मेगावाट के आसपास मिल रही है. यानी ज़रूरत से लगभग 2 हज़ार मेगावाट कम.


ग्रामीण इलाकों में ज्यादा असर 


एक-दो दिन पहले तक तो ये हालात हो गए थे कि, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 18 घंटे बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए वहां 12 से 13 घंटे के बीच ही हो पा रही है. वहीं तहसील क्षेत्रों के लिए साढ़े 21 घंटे की बिजली आपूर्ति होनी चाहिए, लेकिन इसमें भी सिर्फ 19 घंटे के आसपास ही आपूर्ति हो रही थी. बात बुंदेलखंड की करें तो जहां 20 घंटे बिजली सप्लाई मिलनी चाहिए वहां 17 घंटे के आस-पास ही मिल पा रही थी. हालांकि, बिगड़ते हालात के बीच रविवार को स्थिति बेहतर रही. ज्यादा कटौती नहीं हुई, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि, समस्या टल गयी. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि, प्रदेश ने कुछ बिजली खरीदी है जिससे सप्लाई दुरुस्त हुई लेकिन ये टेम्पररी व्यवस्था है. पीक आवर्स में अब भी मांग और पूर्ति के बीच काफी अंतर है.


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