मेरठ. कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले मेरठ में दूसरे दिन भी बिजली कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार कर धरना प्रदर्शन जारी है. कर्मचारियों का कहना है कि ऊर्जा मंत्री से बड़े बिजली विभाग के चेयरमैन हो गए हैं, जब ऊर्जा मंत्री ने विद्युत कर्मचारियों को आश्वासन दे दिया कि वह निजीकरण का फैसला वापस लेंगे, तब बिजली विभाग के चेयरमैन उस पर असहमति जताते हैं. जिसकी वजह से आज प्रदेश की आम जनता ही नहीं बल्कि बिजली कर्मचारी भी प्रभावित हो रहे हैं.


चेयरमैन से नाराजगी


बिजली कर्मचारियों का कहना है कि एक चेयरमैन की हठधर्मिता की वजह से आम जनता और बिजली कर्मचारी दोनों परेशान हो रहे हैं, जबकि सरकार के मंत्री निजीकरण का फैसला वापस लेने की बात कहते हैं, तो वहीं, बिजली विभाग के चेयरमैन इस पर असहमति जताकर हर परिस्थिति से निपटने की चुनौती देते हैं, जबकि सरकार ने विद्युत निजीकरण का फैसला लेकर उसका परिणाम भी देख लिया कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण के बाद बिजली विभाग की क्या स्थिति है.


सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही है


मेरठ के ऊर्जा भवन पर सैकड़ों की संख्या में बिजली कर्मचारी कार्य का बहिष्कार कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और इनकी मांग है कि जब तक सरकार निजीकरण का फैसला वापस नहीं लेती है, तब तक यह आंदोलन इसी तरह जारी रहेगा, लेकिन जब बिजली कर्मचारियों से एबीपी गंगा ने पूछा कि आप लोगों की हड़ताल की वजह से आम जनता परेशानियों से जूझ रही है तो उनका कहना है कि इस परेशानी की जिम्मेदार सरकार खुद है, वो तो काम करना चाहते हैं लेकिन सरकार उन्हें काम करने नहीं देना चाहती.


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