Energy Crisis In Uttar Pradesh: कोयले की कमी का असर अब प्रदेश की बिजली आपूर्ति पर दिखने लगा है. बिजली की आपूर्ति कम होने की वजह से जगह-जगह कटौती की जा रही है. हालात ये है कि अब तक करीब 2 हजार मेगावाट क्षमता की इकाइयों को बंद करना पड़ा है. वहीं विभागीय लोगों की माने तो अगर जल्द कोयले की कमी दूर नहीं हुई तो बिजली आपूर्ति और ज्यादा डीरेल हो जाएगी. सबसे ज्यादा कटौती ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही है.
प्रदेश में बिजली की प्रतिबंधित मांग करीब 17,000 मेगावाट के आसपास है जबकि इसके मुकाबले 15,000 मेगावाट के आसपास ही आपूर्ति हो पा रही है. यानी लगभग 1800 से 2000 मेगावाट की कमी चल रही है. हालात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 18 घंटे बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए वहां 12 से 13 घंटे के बीच ही हो पा रही है. वही तहसील क्षेत्रों के लिए साढ़े 21 घंटे की बिजली आपूर्ति होनी चाहिए, लेकिन इसमें भी सिर्फ 19 घंटे के आसपास ही आपूर्ति हो रही है. बुंदेलखंड में 20 घंटे बिजली सप्लाई मिलनी चाहिए, लेकिन वहां 17 घंटे के आस-पास ही मिल पा रही है.
हालांकि विभाग का कोई भी अधिकारी फिलहाल इस मामले में बात करने से बचता नजर आ रहा है. नाम सामने ना लाने की शर्त पर प्रदेश के विद्युत निगम की एमडी ने माना कि कोयले की कमी की वजह से समस्या बढ़ती जा रही है. आगे त्योहारों में बिजली की मांग और बढ़ रही है. जल्द कोयले की समस्या दूर नही हुई तो काफी मुश्किल बढ़ सकती है.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि पिछले कुछ समय में जो भीषण बरसात हुई उसकी वजह से पानी तमाम कोयले की खदानों में चला गया है. इसकी वजह से बड़ी मात्रा में कोयला गीला है. इसके अलावा मंगोलिया, ऑस्ट्रेलिया से भी फिलहाल कोयले की सप्लाई में समस्या है. उन्होंने कहा समस्या से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में सामने आ रही है.
ये समस्या कितनी बढ़ रही है इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि खुद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को भी इस पर ट्वीट करना पड़ा. अपने ट्वीट में उपभोक्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा कि विभिन्न कारणों से विद्युत उत्पादन इकाइयों में कोयले की आपूर्ति बाधित हुई है, जिससे निर्बाध विद्युत आपूर्ति में व्यवधान आ रहा है. उपभोक्ताओं हो रही असुविधा के लिए खेद है. यह समस्या जल्द दूर कर आपूर्ति सामान्य की जाएगी.
ऊर्जा मंत्री ने लिखा कि संयुक्त सचिव, कोयला मंत्रालय की अध्यक्षता में गठित सब ग्रुप, सप्ताह में दो बार कोल आपूर्ति की निगरानी कर रहा है. केंद्र सरकार व कोल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से आपूर्ति सामान्य करने के प्रयास किए जा रहे हैं. अन्य स्रोतों से बिजली खरीद की जा रही है.
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