Pratapgarh Latest News: तमाम कानूनी प्राविधानों के बावजूद दहेज प्रथा नहीं रुक रही है. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर ऐन मौके पर शादी से इनकार करने का मामला सामने आया है. दरअसल दहेज में अर्टिगा (कार) की मांग की गई थी और वर पक्ष का कहना था कि जब तक अर्टिगा उन्हें नहीं मिलेगी या उसके पैसे नहीं मिलेंगे तब तक बारात नहीं आयेगी और शादी से मना कर दिया गया. मामले में वर पक्ष के कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किये गये हैं.
यहां जानें पूरा मामला
प्रतापगढ़ के लालगंज कोतवाली के मादीपुर निवासी सौरभ शुक्ल ने कोतवाली में इस बाबत तहरीर दी कि उसकी बहन की शादी की रायबरेली के सलवन कोतवाली के कमालुद्दीन पुर निवासी विजय मिश्र के साथ तय की थी और सगाई और तिलक में उसके पिता स्व. विनोद शुक्ल ने नकदी, जेवरात व कपड़ों समेत समेत कुल 15 लाख रुपये खर्च किये थे. इसी बीच उनका देहांत हो गया.
17 अप्रैल को थी शादी
17 अप्रैल को शादी की तिथि निर्धारित की गई थी, जिसकी तैयारियां भी पूरी हो चुकी थी घर में मेहमानों का भी जमावड़ा था. खाने पीने के समान, टेंट, लाइट फर्नीचर सब लगे हुए थे. माहौल खुशियों का था. अचानक शाम को एक फोन ने सारी खुशियां छीन लीं. फोन वर पक्ष से आया और कहा गया कि चार चक्का अर्टिगा नहीं पहुंची है, उसे भेज दो तभी बारात लेकर आएंगे. इस बात के पूरा होते सौरभ ने बताया कि अर्टिगा की डिलीवरी अभी तक मिली नहीं है. बुक है जैसे ही मिलेगी पहुंचा देंगे. आप बारात लेकर आइए तो उसे जवाब मिला कि यदि गाड़ी नहीं मिली तो उसका पैसा भेज दो तभी बारात लेकर आएंगे.
तमाम विनती करने के बाद भी और दहेज लोभी बारात लेकर नहीं आए जिसके बाद परिवार का खुशनुमा माहौल सूना पड़ गया. घर में बज रहे गाने बन्द हो गए और और एक रिश्ता जुड़ने से पहले ही दहेज की भेंट चढ़ गया. अगले दिन पीड़ित भाई तहरीर लेकर थाने पहुंच गया इस तहरीर के आधार पर पुलिस ने जांचोपरांत देर रात मुकदमा दर्ज कर लिया.
इनके खिलाफ हुआ मामला दर्ज
इस बाबत अपर पुलिस अधीक्षक रोहित मिश्र ने बताया कि पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है, मामले की जांच के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि मंगेतर विजय मिश्र उसके भाई राकेश मिश्र, मंगेतर के बहनोई देवेश कुमार, मंगेतर की मां अलावा रिश्तेदार अनुपम त्रिपाठी व प्रदीप उपाध्याय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन बड़ा सवाल की आखिर बारात न लाने से जो सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई व अपमान हुआ क्या मुकदमे व गिरफ्तारी से उसे वापस लाया जा सकता है.
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