Pratapgarh: प्रतापगढ़ में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा जिला विकास अभिकरण का भवन, 18 साल बाद भी नहीं हो सका निर्माण
Pratapgarh News: प्रतापगढ़ में इसके भवन को बनाने की स्वीकृति साल 2005 में शासन से मिल गई थी. जिसके लिए अनुमानित लागत 30 लाख के सापेक्ष भारत सरकार और राज्य सरकार की ओर से आवंटित भी हुई.
Pratapgarh News: यूपी के प्रतापगढ़ में जिला विकास अभिकरण का भवन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. सरकारें बदलती और कार्यदायी संस्थाएं बदलती रहीं, लेकिन सिर्फ बंदरबांट ही होता रहा है इसका निर्माण नहीं हो पाया. शासन के पत्र लिखा जाता रहा, बजट बढ़ता रहा पर जिले के सार्वजनिक निर्माण कार्यो की निगरानी करने वाली संस्था का भवन 18 साल में भी नहीं बन सका, इस निर्माणाधीन भवन के दिन नहीं सुधर पाए, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सरकार आखिर कब जागेगी.
जिला विकास अभिकरण वो विभाग है जिसपर जिले के विभिन्न निर्माण कार्यो की निगरानी का जिम्मा होता है. प्रतापगढ़ में इसके भवन को बनाने की स्वीकृति साल 2005 में शासन से मिल गई थी. जिसके लिए अनुमानित लागत 30 लाख के सापेक्ष भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से पहली किस्त 17 मार्च 2005 को 11 लाख 25 हजार और राज्यांश 3 लाख 75 हजार कुल 15 लाख आवंटित कर दिया गया और इसके निर्माण का जिम्मा कार्यदाई संस्था के रूप में उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को 31 मार्च 2005 को 11 लाख 25 हजार प्रतापगढ़ इकाई को जारी किया गया था.
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा भवन निर्माण कार्य
धनराशि जारी होने के बाद निर्माण निगम ने निर्माण कार्य शुरू कर दिया, अभी निर्माण कार्य खिड़की दरवाजे की लेंटर तक पहुचा ही था कि 30 मई 2006 को एक शासनादेश जारी होता है और निर्माण कार्य मे लगी राजकीय निर्माण निगम के हाथ से काम छीनकर उत्तर प्रदेश श्रम एवं निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड जिसे लोग लैकफेड को बजट समेत हैंडओवर कर दिया गया, जिसके बाद लैकफेड ने दीवारों काम पूरा करने के बाद बजट का राज्यांश 3 लाख 75 हजार की मांग की गई, जिसके बाद बजट तो नही आवंटित किया गया अलबत्ता काम छीनकर विशेष सचिव उत्तर प्रदेश ग्राम्य विकास अनुभाग 2 द्वारा 10 सितम्बर 2013 को पत्र जारी कर उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड को कार्यदाई संस्था के रूप में नामित कर दिया गया.
काम मिलने के बाद 19 सितम्बर 2019 को यूपीपीसीएल ने पत्र लिख नया प्राक्कलन 40 लाख 59 हजार के बजट की मांग की क्योंकि मटेरियल कास्ट लगातार बढ़ती जा रही थी, जबकि राज्यांश का 3 लाख 75 हजार अभिकरण के पास पड़ा हुआ है, जिसके चलते कार्य को पूरा करने के लिए 36 लाख 84 हजार की मांग की गई है, ताकि कम से कम भूतल स्तर का कार्य पूर्ण कराया जा सके. इस बाबत जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक डॉ. राम चन्द्र शर्मा ने समय समय पर क्रमशः 21 सितम्बर 2019 व 3 अक्टूबर 2022 को आयुक्त ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश को पत्र लिख कर बजट की मांग की जाती रही है.
18 सालों से लटका हुआ है काम
इंचार्ज परियोजना निदेशक ओम प्रकाश मिश्र ने बताया कि ये 2005 में जिला विकास अभिकरण कार्यालय के नाम से स्वीकृत हुआ था, 30 लाख रुपए स्वीकृत हुआ था जिसके सापेक्ष प्रथम किस्त प्राप्त हुई थी, पहली किस्त का उपयोग हो गया, दूसरी किस्त की डिमांड की गई है, जिसकी धनराशि अभी उपलब्ध नहीं हुई है, धनराशि उपलब्ध होने पर इसमें कार्य होगा.
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