Pratapgarh News : प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System) में आई खामियों को दूर करने के लिए प्रशासन (Administration) जुट गया है. यहां पंचायत की बैठकों में नीतियों की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं. पंचायत सदस्य की जगह उनके रिश्तेदार या फिर दबंग बैठक में हिस्सा ले रहे थे. आधी आबादी समेत अनुसूचित जातियों-जनजातियों व पिछड़ा वर्गों को आरक्षण (Reservation) होने के बावजूद उनके अधिकारों का लगातार हनन हो रहा था. प्रशासन की पहल को देखते हुए अधिकारों का हनन करने वालों में खलबली मच गई और वे हंगामे पर आमादा हो गए.


पंचायती राज व्यवस्था की अवधारणा है कि महिलाओं, अनुसूचित जातियों-जनजातियों व पिछड़ा वर्ग के लोगों की सहभागिता सुनिश्चित हो. इसके लिए बाकायदा चक्रानुक्रम में आरक्षण की व्यवस्था दी गई ताकि किसी भी वर्ग को वंचित न किया जा सके. इसके बावजूद व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए महिलाओं की जगह उनके सगे संबंधियों  (पति, बेटा, ससुर या देवर) ने अधिकारों पर कब्जा जमा लिया. महत्वपूर्ण निर्णयों, वित्तीय अधिकारों की तो बात छोड़ दें यहां तक कि बैठकों में भी उन्हीं का कब्जा था. महिला प्रतिनिधियों के अलावा कमजोर तबके के दलित व पिछड़ा वर्ग के पंचायत सदस्यों के साथ भी ऐसा ही होता रहा है. उनकी जगह इलाके के प्रभावशाली दबंग उनका काम कर रहे थे. ऐसे में चुने हुए पंचायत सदस्य महज मोहरे बन कर रह गए और इलाके में विकास का काम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया.



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अब इस अव्यवस्था पर अंकुश लगाने की पहल जिले के आलाधिकारियों ने शुरू की तो अनधिकृत तरीके से बैठे लोगों ने हंगामा बरपा दिया. इसी सप्ताह हुई जिला पंचायत की बैठक और मान्धाता ब्लाक में क्षेत्र पंचायत की बैठक,  में सदस्यों की बजाय उनके परिवार या फिर उनके दबंग रहनुमा प्रतिनिधि के रूप में आए. मन्धाता ब्लॉक में  प्रभावशाली लोगों ने कुर्सियों पर कब्जा जमा लिया था जिसके बाद अपर पुलिस अधीक्षक ने माइक लेकर अनधिकृत लोगों से बाहर जाने की अपील की, लेकिन वे अपनी जगह से नहीं हटे और बवाल करने लगे. जिसके बाद .  प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने बलपूर्वक उन्हें बाहर कराया. 


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