Pratapgarh News: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) में एक बार फिर तेंदुए ने दस्तक दी है. प्रतापगढ़ जल शाखा के किनारे तेंदुए को देखकर इलाके में हड़कंप मच गया. सहमे ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हैं. ग्रामीण पालतू जानवरों की रखवाली करने के लिए रातभर जाग रहे हैं. डीएफओ ने गाइडलाइन जारी किया है जिसमें लोगों को पालतू जानवरों सहित घर के भीतर रहने हिदायत दी गई है. यह तेंदुआ संग्रामगढ़ के नेवादा खुर्द में देखा गया. इसके बाद उसे पकड़ने के लिए वन विभाग (UP Forest Department) सक्रिय हो गया है.


पकड़ने में जुटा वन विभाग
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में वैसे तो तेंदुए का स्थाई तौर से छोटे मोटे जंगलों में निवास नहीं है, बावजूद इसके लगातार जिले के विभिन्न हिस्सों में तेंदुओं की आमद होती रही है. एक बार फिर संग्रामगढ़ इलाके के नेवादा खुर्द में प्रतापगढ़ जलशाखा नहर किनारे तेंदुआ दिखा तो ग्रामीणों में दहशत का माहौल कायम हो गया. इसके चलते भयभीत ग्रामीण अपनी और पशुओं की सुरक्षा के लिए रतजगा करने को मजबूर हैं तो वहीं वन विभाग की टीम उसे पकड़ने की कवायद में जुटी है. 


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डीएफओ ने क्या बताया
डीएफओ वरुण सिंह ने बताया कि, तेंदुए को पकड़ने के लिए हमारी टीम लगी हुई है. इसे मैं खुद भी मॉनिटर कर रहा हूं. तेंदुए को पकड़ने के लिए जगह-जगह जाल लगाया गया है, साथ ही दो पिंजरे भी लगाए गए हैं ताकि सुरक्षित पकड़ा जा सके. ग्रामीणों से अपील है कि जब तक तेंदुआ पकड़ा नहीं जाता लोग खुद के साथ ही पालतू पशुओं को भी घरों के भीतर रखें. तेंदुए का मिलना कोई नई बात नहीं है. इसके पहले कई बार तेंदुए अलग अलग हिस्सों में पाए गए. एक को वन विभाग की टीम जिंदा पकड़ने में कामयाब रही तो वहीं दो तेंदुओं को ग्रामीणों ने मौत के घाट उतार दिया. इतना ही नहीं तेंदुओं के हमले में तकरीबन दर्जन भर लोग घायल भी हो चुके है. 


कब कब मिले हैं तेंदुए
बता दें कि कभी बाजारों में तो कभी घरों में नदियों किनारे छोटे छोटे जंगलों में तेंदुए पाए गए हैं. तेंदुओं ने कई बार जानवरों का भी शिकार भी कर डाला था. पहली बार साल दो हजार सत्रह में दस नवम्बर को बाघराय कोतवाली इलाके के रोर गांव में ग्रामीणों ने एक तेंदुए को देखा. ग्रामीण कुछ समझ पाते तबतक में तेंदुए ने घर के बाहर बैठे ग्रामीणों पर हमला कर दिया और कई लोग घायल भी हो गए. इसके बाद तेंदुआ एक घर में घुस गया था जिसके बाद वन विभाग ने कानपुर चिड़ियाघर से टीम बुलाई और पिंजरा लगाकर अगले दिन कड़ी मशक्कत के बाद उसे पिंजरे में कैद कर कानपुर ले कर चली गई, जहां उसका पुनर्वास कराया गया. 


जलाकर मार डाला था लोगों ने
इसी इलाके में तेंदुए ने एक माह बाद 22 दिसम्बर को फिर दहशत फैलाई. तेंदुए के हमले में चार लोग जख्मी हो गए. इसके बाद कई गांवों की भीड़ वन्यकर्मियों और पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई. एक दिन बाद भीड़ से बचने के प्रयास में झाड़ियों में छिपा तेंदुआ ट्यूबबेल के कुंए में गिर गया जिसे ग्रामीणों में पुआल डालकर आग लगा दिया और उसकी मौत हो गई. इसके बाद वन विभाग ने तेंदुए का पोस्टमार्टम कानपुर की टीम से कराया और दर्जनों ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया था. बात यहीं खत्म नहीं होती मानधाता कोतवाली इलाके के कुशफरा जंगल में साल दो हजार उन्नीस में नौ फरवरी को ग्रामीणों ने पुलिस की मौजूदगी में जाल में फंसे तेंदुए को लाठियों से पीटपीट कर मौत के घाट उतार दिया था.


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