Corona Effect: लोगों के दिमाग पर कोरोना ने डाला असर, बच्चे भी हुए प्रभावित, ठीक करने पर हो रहा है मंथन
Prayagraj News: उत्तर भारत के तकरीबन 200 मनोचिकित्सक (psychiatrists) कोरोना की वजह से लोगों की मानसिक हालत पर पड़े प्रभाव और उसे ठीक करने की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं.
Diseases Due to Coronavirus: कोरोना (Coronavirus) के पिछले डेढ़ सालों में मानसिक तौर पर बीमार और परेशान हुए लोगों के बेहतर इलाज और उनकी काउंसलिंग की संभावनाएं तलाशने के लिए उत्तर भारत के 200 प्रमुख मनोचिकित्सकों (Psychiatrists) का एक सेमिनार आज से प्रयागराज (Prayagraj) में शुरू हुआ है. 2 दिनों के इस सेमिनार में वैसे तो मानसिक बीमारियों से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की जा रही है, लेकिन खास फोकस कोरोना की वजह से लोगों की मानसिक हालत पर पड़े प्रभाव और उसे ठीक करने की संभावनाओं पर ही है. इस सेमिनार में इस बात पर खास तौर पर मंथन किया जा रहा है कि कोरोना के साइड इफेक्ट वाले लोगों को किस तरह ठीक किया जाए, कैसे उनका इलाज हो, उन्हें कौन सी दवाएं दी जाएं. किस तरह से उनकी काउंसलिंग हो और लोगों के अंदर बैठा डर कैसे दूर किया जाए.
बच्चों पर भी पड़ा बुरा प्रभाव
सेमिनार में जुटे मनोचिकित्सकों के मुताबिक कोरोना की महामारी ने पिछले डेढ़ सालों में जबरदस्त तबाही मचाई है. किसी की ज़िंदगी छीन ली तो किसी को हफ़्तों अस्पताल में तड़पाया है, लेकिन बहुत बड़ी तादात में ऐसे लोग भी हैं, जिनपर वायरस ने सीधे तौर पर तो नहीं अटैक किया, लेकिन उनके दिमाग पर ऐसा बुरा असर डाला है, जिससे उबरने में उन्हें लंबा अरसा लग सकता है. ऐसे लोगों में कोई बुरी तरह डरकर अपनी मानसिक स्थिति खराब कर चुका है तो कोई मोबाइल व इंटरनेट का लती हो गया है. सबसे ज़्यादा प्रभावित बच्चे हुए हैं ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर मोबाइल का इस्तेमाल शुरू करने के बाद तमाम बच्चे इसके आदी हो गए हैं. इन आदतों से दूर निकलने पर कोई चिड़चिड़ा हो जा रहा है तो किसी का मानसिक व्यवहार बदल जा रहा है.
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डरे हुए हैं लोग
कोरोना के साइड इफेक्ट वाले ऐसे लोगों को किस तरह ठीक किया जाए, कैसे उनका इलाज हो, उन्हें कौन सी दवाएं दी जाएं, किस तरह से उनकी काउंसलिंग हो, लोगों के अंदर बैठा डर कैसे दूर हो, इसे लेकर उत्तर भारत के तकरीबन 200 मनोचिकित्सक आज से प्रयागराज में मंथन कर रहे हैं. प्रयागराज के मनोचिकित्सक डॉ सौरभ टंडन और मनोचिकित्सकों की एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ केके राजू ने बताया कि इन दिनों कोरोना के साइड इफेक्ट वाले मरीजों की बाढ़ आ गई है. कई लोग तो इस बीमारी से इतने डरे हुए हैं कि घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं होते. परिवार के सदस्यों से भी दूरी बनाए रहते हैं. इससे उन्हें कई दूसरी बीमारियां भी हो रही हैं. ऐसी बीमारियों के निदान के लिए ही उत्तर भारत के मनोचिकित्सक आपस में चर्चा करते हुए लोगों की दिनचर्या को सामान्य करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं.
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