Brain Diseases Due to Coronavirus: कोरोना (Coronavirus) की महामारी ने पिछले डेढ़ सालों में जबरदस्त तबाही मचाई है. किसी की जिंदगी छीन ली तो किसी को हफ्तों अस्पताल (Hospital) में तड़पाया है. लेकिन, बहुत बड़ी तादात में ऐसे लोग भी हैं, जिन पर वायरस ने सीधे तौर पर तो नहीं अटैक किया, लेकिन उनके दिमाग पर ऐसा बुरा असर डाला है, जिससे उबरने में उन्हें लंबा अरसा लग सकता है. ऐसे लोगों में कोई बुरी तरह डरकर अपनी मानसिक स्थिति खराब कर चुका है तो कोई मोबाइल (Mobile) और इंटरनेट (Internet) का लती हो गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हुए हैं. ऑनलाइन पढ़ाई (Online Education) के नाम पर मोबाइल का इस्तेमाल शुरू करने के बाद तमाम बच्चे इसके आदी हो गए हैं. इन आदतों से दूर निकलने पर कोई चिड़चिड़ा हो जा रहा है तो किसी का मानसिक व्यवहार बदल जा रहा है.  


मंथन करेंगे 200 मनोचिकित्सक
कोरोना के साइड इफेक्ट वाले ऐसे लोगों को किस तरह ठीक किया जाए, कैसे उनका इलाज हो, उन्हें कौन सी दवाएं दी जाएं, किस तरह से उनकी काउंसलिंग हो, लोगों के अंदर बैठा डर कैसे दूर हो, इसे लेकर उत्तर भारत के तकरीबन 200 मनोचिकित्सक कल यानी 30 अक्टूबर से 2 दिनों तक मंथन करेंगे. मनोचिकित्सकों की ये कांफ्रेंस संगम नगरी प्रयागराज में होगी. इस कांफ्रेंस में वैसे तो मानसिक बीमारियों से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की जाएगी, लेकिन खास फोकस कोरोना की वजह से लोगों की मानसिक हालत पर पड़े प्रभाव और उसे ठीक करने की संभावनाओं पर ही होगा. 


डरे हुए हैं लोग 
प्रयागराज के मनोचिकित्सक डॉ सौरभ टंडन और डॉ विपुल मेहरोत्रा ने बताया कि इन दिनों कोरोना के साइड इफेक्ट वाले मरीजों की बाढ़ आ गई है. कई लोग तो इस बीमारी से इतने डरे हुए हैं कि घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं होते. परिवार के सदस्यों से भी दूरी बनाए रहते हैं, इससे उन्हें कई दूसरी बीमारियां भी हो रही हैं. ऐसी बीमारियों के निदान के लिए ही उत्तर भारत के मनोचिकित्सक आपस में चर्चा करते हुए लोगों की दिनचर्या को सामान्य करने की संभावनाएं तलाशेंगे.



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