UP News: पहले विधानसभा और उसके बाद विधान परिषद चुनाव में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी में अब न सिर्फ घमासान मच गया है बल्कि अखिलेश यादव के नेतृत्व को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं. सवाल दूसरी पार्टियां या विपक्षी नेता नहीं बल्कि खुद समाजवादी पार्टी की कमान संभालने वाले उसके सेनापति ही उठा रहे हैं. यह विरोध प्रयागराज में भी जबरदस्त तरीके से मुखर है, जो कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ हुआ करता था.


यहां पुराने और वरिष्ठ नेताओं से लेकर विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार और पदाधिकारी रहे नेता अब हाईकमान की नीतियों और निर्णयों से नाखुश नजर आ रहे हैं. तमाम लोग इस बारे में खुलकर बोल रहे हैं. सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं तो बहुत से लोग हैं जो अभी सार्वजनिक तौर पर गुबार नहीं निकाल पा रहे हैं. लेकिन दुखी और मायूस जरूर नजर आ रहे हैं. 


डॉ. ऋचा सिंह ने फेसबुक पर लिखा पोस्ट


इलाहाबाद सेंट्रल युनिवर्सिटी छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष डॉ. ऋचा सिंह ने विधान परिषद चुनाव के नतीजे आने के बाद फेसबुक पर लिखा. जनतंत्र में जय और पराजय उतने महत्वपूर्ण नहीं जितने उससे लिए गए संदेश. हो सकता है कि एमएलसी चुनाव सत्ता के चुनाव होते हों, पर जब निर्दलीय प्रत्याशी सत्ता को पराजित कर सकते हैं तो अन्य विपक्षी दलों द्वारा मजबूती से लड़ भी न पाना क्या आत्ममंथन और मूल्यांकन का विषय नहीं होना चाहिए.


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विनोद चंद दुबे ने कही ये बात


प्रयागराज में पार्टी के सबसे अनुभवी व बुजुर्ग नेताओं में एक विनोद चंद दुबे का कहना है कि लगातार हो रही हार निश्चित तौर पर पार्टी हाईकमान के लिए आत्मचिंतन का विषय होना चाहिए. नीति और निर्णयों में कमी की वजह से ही हार हो रही है. समाजवादी पार्टी अब मुलायम के दौर की सपा नहीं रह गई है. कहीं न कहीं चूक हो रही है. कार्यकर्ता अब कुछ शिथिल हो गए हैं.


जिलाध्यक्ष रहे रवींद्र यादव ने कही ये बात


पार्टी के एक अन्य संघर्षशील नेता और युवजन सभा के जिलाध्यक्ष रह चुके रवींद्र यादव ने टिकट वितरण को लेकर सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा किया है. उन्होंने लिखा है- हमारा शीर्ष नेतृत्व टिकट वितरण करते समय जनता की नब्ज़ को नहीं भांप पाया. कार्यकर्ताओं से उनकी राय नहीं जानी गई. पत्रकारों और राजनैतिक विश्लेषकों को टिकट बंटवारे के समय ही हार की आहट हो गई तो शीर्ष नेतृत्व इसे क्यों नहीं समझ सका. 


अन्य ने सोशल मीडिया पर क्या-क्या लिखा


पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता और पूर्व अपर महाधिवक्ता कमरुल हसन सिद्दीकी ने फेसबुक पर लिखा है- जो लोग अपने बुजुर्गों के आस पास नहीं रहते हैं, वह अक्सर नुकसान में रहते हैं और इस चुनाव में यही हुआ है. पार्टी के प्रदेश सचिव रहे कौशाम्बी के नेता हाजी अवैस हसन ने सोशल मीडिया पर लिखा है- साहब के चार वीर. साजन- राजेश- भदौरिया और उदयवीर. प्रयागराज में समाजवादी पार्टी के मीडिया प्रभारी मोहम्मद अस्करी ने फेसबुक पर अपना दर्द साझा करते हुए लिखा है- जब तक थोपे हुए प्रत्याशी टपकाए जाते रहेंगे और जमीनी स्तर पर काम करने वालों को नजरअंदाज किया जाता रहेगा.


इसी तरह पार्टी नेता शैलेन्द्र कुमार ने फेसबुक पर लिखा है- एक जाति से जीत नहीं होगी. मुलायम सिंह समाज के हर वर्ग को अपने साथ लेकर चलते थे. अखिलेश के साथ तो उनके परिवार के लोग तक नहीं हैं. कौशाम्बी के युवा नेता शारिक सिद्दीकी चायली ने कमेंट करते हुए लिखा है- अपनों ने दिया धोखा, गैरों से शिकायत क्या. बहरहाल सपा नेताओं द्वारा पार्टी नेतृत्व को आइना दिखाते हुए सोशल मीडिया पर जिस तरह से अपना अपना दर्द बयां किया जा रहा है वह खासी चर्चा का सबब बना हुआ है. इसे लेकर चर्चाओं का बाजार भी गर्म है.


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