प्रयागराज: सरकार के बाद अब हाईकोर्ट ने भी दुर्गा पूजा के आयोजन की अनुमति देने से किया इनकार
कोरोना काल में दुर्गा पूजा कमेटियों को दोहरा झटका लगा है. योगी सरकार ने दुर्गा पूजा के सार्वजनिक आयोजनों पर इस बार रोक लगाने का एलान किया तो दूसरी तरफ अदालत ने भी कोई राहत नहीं दी है.
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी में दुर्गा पूजा के सार्वजनिक आयोजनों की अनुमति दिए जाने के मामले में कोई दखल देने से इनकार कर दिया है. मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर दाखिल पीआईएल पर सीधे तौर पर कोई दखल दिए बिना उसे निस्तारित कर दिया है. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि इस बारे में अंतिम फैसला सरकार को ही लेना है. कोर्ट ने बकरीद और मुहर्रम के सार्वजनिक आयोजनों की मांग में भी कोई दखल नहीं दिया था, इसलिए इस मामले में भी कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकेगा.
डीएम के सामने मांग रखने की छूट पीआईएल में मुख्य रूप से प्रयागराज में दुर्गा पूजा के पंडाल सजाकर सार्वजनिक आयोजन की मांग की गई थी, इसलिए कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को जिले के डीएम के सामने पूरे तथ्यों के साथ अपनी मांग रखने की छूट दी है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि डीएम इस बारे में केंद्र सरकार की तरफ से तय की गई ताजा गाइडलाइन के मुताबिक उचित फैसला ले सकते हैं.
सादगी से घर में करनी होगी पूजा हाईकोर्ट की तरफ से किसी तरह का दखल दिए जाने से इनकार किए जाने और कोई राहत नहीं दिए जाने से दुर्गा पूजा कमेटियों को दोहरा झटका लगा है. सोमवार को ही योगी सरकार ने दुर्गा पूजा के सार्वजनिक आयोजनों पर इस बार रोक लगाने का एलान किया तो दूसरी तरफ अदालत ने भी कोई राहत नहीं दी. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद यूपी में अब इस बार दुर्गा पूजा के सार्वजनिक आयोजन होने के सभी रास्ते तकरीबन बंद हो गए हैं. देवी दुर्गा के भक्तों को इस साल अब घरों पर ही सादगी के साथ पूजा करनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी ये आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन की पीआईएल पर सुनवाई के बाद दिया है. एसोसिएशन के सचिव पीके राय की तरफ से दाखिल अर्जी में कहा गया था कि दुर्गा पूजा के परंपरागत सार्वजनिक आयोजनों को लेकर सरकार इस बार अनुमति नहीं दे रही है. कमेटियां कोविड गाइडलाइंस का पालन कराते हुए आयोजन को परंपरागत तरीके से करना चाहती हैं, इसलिए कोर्ट इस मामले में दखल देते हुए सरकार को अनुमति देने का निर्देश जारी करे. अदालत ने किसी तरह का दखल देने से इनकार करते हुए कोई भी आदेश जारी करने से मना कर दिया. याचिकाकर्ता के वकील विजय चंद्र श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा का कहना है कि वो इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं.
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