प्रयागराज: जौनपुर के पूर्व बाहुबली सांसद धनंजय सिंह ने शुक्रवार को यूपी पुलिस की रणनीति के किले को ध्वस्त करते हुए फिल्मी अंदाज में प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में सरेंडर कर दिया. कोर्ट ने धनंजय को ज्यूडिशियल कस्टडी में एक अप्रैल तक के लिए जेल भेज दिया है. धनंजय ने जेल जाने की ये कवायद यूपी पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए की है.
पहने वकीलों जैसे कपड़े
दरअसल धनंजय सिंह को इस बात की आशंका थी कि लखनऊ के चर्चित अजीत सिंह मर्डर केस में गिरफ्तार करने के बाद यूपी पुलिस कानपुर वाले विकास दुबे की तरह गाड़ी पलटवाकर उसका एनकाउंटर कर सकती है. धनंजय ने कोर्ट में सरेंडर करने के लिए वकीलों जैसे कपडे पहन रखे थे और हुलिया भी बदल रखा था.
पुलिस को नहीं लगी भनक
धनंजय ने सरेंडर करने की रणनीति इतने गोपनीय और फुलप्रूफ तरीके से तैयार की हुई थी कि न तो यूपी पुलिस को इसकी भनक लग सकी और न ही कोर्ट में सरेंडर होने के बाद वो कुछ कर सकी. इस मामले में यूपी पुलिस भले ही फेल साबित हुई हो, लेकिन योगी सरकार इसे अपनी उपलब्धि जरूर मान सकती है क्योंकि बाहुबली धनंजय ने माफियाओं और बाहुबलियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से खौफ खाकर कोर्ट में सरेंडर किया है.
25 हजार रुपये का इनाम था घोषित
दरअसल, लखनऊ के चर्चित अजीत सिंह मर्डर केस में पुलिस ने धनंजय को भी आरोपी बनाया है. पुलिस ने धनंजय की गिरफ्तारी के लिए दो दिन पहले ही कई जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी. धनंजय के दो ठिकानों पर गिरफ्तारी वारंट के नोटिस भी चस्पा किए गए थे. पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा था. धनंजय को जब ये लगा कि कानून का शिकंजा उस पर तेजी से कस रहा है और आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ने वाली हैं तो उसने कानूनी दांव खेला. धनंजय को इस बात की आशंका थी कि पुलिस गिरफ्तार करने के बाद उसका एनकाउंटर कर सकती है. ऐसे में माना जा सकता है कि धनंजय ने यूपी सरकार से खौफ खाकर सरेंडर करने का ये दांव खेला है.
भेजा गया नैनी सेंट्रल जेल
पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने शुक्रवार को जौनपुर के खुटहन थाने में साल 2017 में दर्ज एफआईआर में फुलप्रूफ प्लानिंग के साथ अपनी जमानत निरस्त कराई. उसने पहले इस मामले के एक जमानतदार को कोर्ट भेजकर अपनी गारंटी वापस लेने को कहते हुए बांड निरस्त कराया. इसी दौरान धनंजय नाटकीय अंदाज में कोर्ट रूम में दाखिल हुआ और सरेंडर करने की बात कही. धनंजय की तरफ तरफ से कोई दूसरा जमानतदार पेश नहीं किए जाने पर कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में ले लिया और एक अप्रैल तक के लिए जेल भेज दिया. धनंजय को फिलहाल प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया है. सरकारी अमले को धनंजय के सरेंडर की भनक तब लगी जब वो कोर्ट रूम में दाखिल होकर अपनी पहचान करा चुका था.
मेन गेट के बजाय चोर दरवाजे को चुना
धंनजय लखनऊ के नंबर की ऐसी गाड़ी पर बैठकर आया था, जिस पर लोकसभा सचिवालय का पुराना पास भी लगा हुआ था. गाड़ियों को उसने कटरा इलाके के जगराम चौराहे पर खड़ा कर दिया था. यहां से कोर्ट कैंपस तक वो तमाम वकीलों की भीड़ के बीच पैदल ही गया था. एमपी एमएलए कोर्ट की बिल्डिंग में दाखिल होने के लिए उसने मेन गेट के बजाय चोर दरवाजे को चुना था. इस दरवाजे का इस्तेमाल आमतौर पर वकील और उनके मुंशी एक से दूसरी बिल्डिंग में जाने के लिए करते हैं. धनंजय ने सफेद शर्ट और हल्की नीली जींस पहन रखी थी. उसने चेहरे पर सफेद रंग का बड़ा मास्क लगा रखा था. गले में गमछा भी पड़ा हुआ था, ताकि कोई आसानी से पहचान न सके.
क्या होगा पुलिस का दांव
चर्चा इस बात की भी है कि कोर्ट जाते वक्त धनंजय ने कोट भी पहन रखा था. हालांकि, कोर्ट रूम में दाखिल होने से पहले ही उसने कोट उतार दिया था. धनंजय आमतौर पर हल्की दाढ़ी रखता है, लेकिन हुलिया बदलने के लिए उसने क्लीन शेव कर रखी थी. बहरहाल अब ये देखना दिलचस्प होगा कि पहली बाजी हारने के बाद यूपी पुलिस कौन सा नया दांव खेलती है. वो धनंजय को रिमांड पर लेने की कोशिश करेगी या फिर कोई दूसरा हथकंडा अपनाएगी.
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